रामपुर और आजमगढ़ लोकसभा उपचुनाव में हार के बाद समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बड़ा फैसला लिया है। अखिलेश यादव ने प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल को छोड़कर पार्टी की अन्य सभी कार्यकारिणी भंग कर दी हैं।
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी और राज्य कार्यकारिणी के साथ ही लोहिया वाहिनी, छात्र सभा, यूथ ब्रिगेड सहित अन्य सभी फ्रंटल संगठनों की राष्ट्रीय व प्रदेश कार्यकारिणी को भंग कर दिया है।
राष्ट्रीय सम्मलेन के बाद होगा नई कार्यकारिणी का गठन
ऐसा माना जा रहा है कि पार्टी कार्यपरिषद के सम्मेलन के बाद नए सिरे से कार्यकारिणी का गठन किया जाएगा। खबर के अनुसार, पार्टी का राष्ट्रीय सम्मेलन अगस्त के अंतिम सप्ताह अथवा सितंबर महीने में होगा। मालूम हो कि विधानसभा चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद से ही कार्यकारिणी भंग करने की संभावना जताई जा रही थी। लेकिन उस समय तो यह भंग नहीं की गई, लेकिन लोकसभा उपचुनावों में हार के बाद इन्हें भंग कर दिया गया।
नये प्रदेश अध्यक्ष की तलाश होते ही नरेश पटेल की भी होगी छुट्टी
इस बीच पार्टी के विधायकों और चुनाव हारने वाले प्रत्याशियों के साथ दो दौर की समीक्षा बैठक हुई। समीक्षा बैठक के बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सभी प्रदेश एवं राष्ट्रीय कार्यकारिणी को भंग करने की घोषणा की है। हालांकि पार्टी की प्रदेश ईकाई के अध्यक्ष नरेश उत्तम का पद अभी बहाल रखा गया है। लेकिन पार्टी सूत्रों का कहना है कि प्रदेश अध्यक्ष पद पर भी बदलाव हो सकता है लेकिन जब तक नए प्रदेश अध्यक्ष की तलाश पूरी नहीं हो जाती है तब तक नरेश उत्तम पटेल कार्य करते रहेंगे।
उपचुनावों में पार्टी हार गई थी अपनी गढ़ वाली सीटें
गौरतलब है कि हाल ही में रामपुर और आजमगढ़ लोकसभा सीटों पर उपचुनाव हुए थे। इन सीटों पर क्रमशः आजम खान और अखिलेश यादव सांसद थे। लेकिन विधायक बनने के बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया था। जिसके बाद यह उपचुनाव आयोजित कराए गए थे। इनमे रामपुर लोकसभा से घनश्याम लोधी ने सपा उम्मीदवार आसिम राजा को 42,048 वोटों से हराया है। गौरतलब है कि रामपुर को आजम खान का गढ़ माना जाता था, ऐसे में रामपुर का सपा के हाथ से निकलना एक बड़ी राजनीतिक हार है।
वहीं आजमगढ़ से बीजेपी के दिनेश लाल यादव ‘निरहुआ’ चुनाव जीते थे। यहां उन्होंने और सपा के धमेंद्र यादव 10 हजार वोटों से चुनाव में मात दी थी। यह सीट पिछले कई सालों से समाजवादी का गढ़ माना जाता रहा है, लेकिन यहां बीजेपी ने सपा के उम्मीदवार को हराकर आगामी लोकसभा चुनावों के लिए सपा की मुश्किलों को और भी बढ़ा दिया है।