ताइवान ने मंगलवार को कहा कि चीन सीधे सैन्य संघर्ष में उलझे बिना उसकी सैन्य क्षमताओं को कमजोर करके और लोगों की राय को प्रभावित करके द्वीप को अपने नियंत्रण में लेना चाहता है। ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने एक द्विवार्षिक रिपोर्ट में कहा कि चीन ताइवान पर दबाव बनाने के लिए ‘ग्रे जोन’ रणनीतियों का इस्तेमाल कर रहा है। ‘ग्रे जोन’ रणनीति के तहत कोई विरोधी बड़े पैमाने पर सीधे संघर्ष से बचते हुए अपने हित साधने के लिए अप्रत्यक्ष तरीके से दबाव बनाता है। चीन ताइवान पर अपना दावा करता है।
चीन सैन्य अभ्यास करके और द्वीप के निकट विमान भेजकर ताइवान के खिलाफ बल प्रयोग के अपने खतरों को बढ़ा रहा है। चीन ने अक्टूबर की शुरुआत में अपने राष्ट्रीय दिवस पर ताइवान के दक्षिण पश्चिम में 149 सैन्य विमान भेजे थे, जिसके बाद ताइवान को अपनी वायु रक्षा प्रणाली को सक्रिय करना पड़ा था। रिपोर्ट में कहा गया है कि यह ताइवान की वायुसेना को कमजोर करने के प्रयासों को दर्शाता है।
उसने कहा कि चीन ताइवान के खिलाफ जो रणनीति अपना रहा है, उसमें साइबर युद्ध छेड़ना, दुष्प्रचार करना और ताइवान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग करने के लिए मुहिम चलाना शामिल है, ताकि ताइवान को कोई युद्ध किए बिना चीन की शर्तें मानने पर मजबूर किया जा सके। उल्लेखनीय है कि चीन और ताइवान 1949 के गृहयुद्ध में अलग हो गए थे।
अमेरिका ने साम्यवादी चीन को मान्यता देने के लिए 1979 में ताइवान से औपचारिक कूटनीतिक संबंध खत्म कर दिए थे, लेकिन वह कानून के तहत यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि ताइवान अपनी रक्षा स्वयं कर सके और वह उसके प्रति सभी खतरों को गंभीर चिंता का विषय मानता है।
‘सीएनएन टाउन हॉल’ में यह पूछे जाने पर कि क्या अमेरिका, ताइवान की रक्षा के लिए आगे आएगा, अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा था, ‘हां, ऐसा करना हमारी प्रतिबद्धता है।’ इसके तुरंत बाद अमेरिकी अधिकारियों ने स्पष्ट किया था कि ताइवान को लेकर उसकी नीति में कोई बदलाव नहीं किया गया है।