शुक्रवार को भारतीय वायुसेना जानकारी दी है कि 8 दिसंबर को हुई दुखद हेलीकॉप्टर दुर्घटना के कारणों की जांच के लिए एक ट्राई सर्विस कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी का गठन किया गया है। साथ ही वायुसेना ने उन लोगों को भी नसीहत दी है जो इस घटना पर बिना किसी तथ्य-सबूत के आरोप लगा रहे हैं। वायुसेना ने कहा है कि जांच तेजी से पूरी की जाएगी और तथ्य सामने आएंगे। तब तक मृतकों की गरिमा का सम्मान करने के लिए बेबुनियाद अटकलों से बचा जा सकता है।
दरअसल, एक तरफ इस घटना ने पूरे देश को स्तब्ध कर दिया है। वहीं, इस मामले के बाद सोशल मीडिया से लेकर अन्य अलग-अलग माध्यमों से इस घटना पर सवाल भी उठाया जा रहा है। गुरुवार को शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा कि हेलिकॉप्टर दुर्घटना में प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (CDS) जनरल बिपिन रावत की मौत लोगों के मन में संदेह पैदा करती है। राज्यसभा सदस्य राउत ने कहा कि जनरल रावत ने हाल के दिनों में चीन और पाकिस्तान के खिलाफ देश की सैन्य प्रतिक्रिया तैयार करने में अहम भूमिका निभाई थी। उन्होंने पूछा, ‘इसलिए, जब ऐसी दुर्घटना होती है तो लोगों के मन में संदेह पैदा होता है।’ राउत ने कहा कि जनरल रावत को ले जाने वाला हेलीकॉप्टर 2 इंजनों द्वारा संचालित एक आधुनिक चॉपर था।
मामले की जांच एयर मार्शल मानवेंद्र सिंह की अध्यक्षता में तीनों सेनाओं के एक संयुक्त दल ने शुरू कर दी है। घटना स्थल से ब्लैक-बॉक्स भी बरामद हो गया है। ये विमान के आखिरी पलों की प्रत्येक गतिविधियों को बतायागा।
राउत ने पूछा था, “हम सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण का दावा करते हैं तो ऐसा कैसे हो सकता है?” राउत ने दावा किया कि इस दुर्घटना से पूरा देश और नेतृत्व भ्रमित हो सकता है, और रक्षा मंत्री या प्रधानमंत्री को सभी संदेह को दूर करना चाहिए। शिवसेना नेता ने यह भी कहा कि जनरल रावत ने पुलवामा हमले के बाद भारत द्वारा किए गए हवाई हमलों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। बता दें, भारत के पहले प्रमुख रक्षा अध्यक्ष जनरल बिपिन रावत, उनकी पत्नी मधुलिका और सशस्त्र बलों के 11 अन्य कर्मियों की बुधवार को तमिलनाडु में कुन्नूर के निकट सैन्य हेलीकॉप्टर के दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद मौत हो गई थी।