उत्तराखंड भाजपा और सरकार में जारी बवाल के बीच भाजपा ने राज्य में सब कुछ ठीक-ठाक होने का दावा किया है। प्रदेश सरकार के कद्दावर मंत्री हरक सिंह रावत द्वारा गुस्से में राज्य कैबिनेट की बैठक छोड़ कर चले जाने के बाद से ही उनके और उनके करीबी विधायक उमेश शर्मा काऊ के अगले राजनीतिक कदम को लेकर कई तरह के कयास लगाए जाने लगे थे, लेकिन इसके तुरंत बाद भाजपा के क्राइसिस मैनेजमेंट सिस्टम ने काम करना शुरू कर दिया । मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और दिल्ली में बैठे भाजपा के एक बड़े नेता ने हरक सिंह रावत की नाराजगी को दूर करने के लिए उनसे बात की और अब भाजपा हरक सिंह रावत को मना लेने का दावा कर रही है।
बताया जा रहा है कि हरक सिंह रावत अपनी विधानसभा कोटद्वार में मेडिकल कॉलेज निर्माण को लेकर हो रही देरी से नाराज थे और इसी नाराजगी के कारण उन्होंने कैबिनेट की बैठक से बाहर निकलते हुए इस्तीफा देने के बात भी कही थी। हालांकि उन्होंने लिखित में कोई इस्तीफा नहीं दिया था, लेकिन भाजपा के सूत्र अब उनकी नाराजगी के दूर होने और उन्हें मना लेने का दावा कर रहे हैं।
सूत्रों के मुताबिक, प्रदेश सरकार ने रावत के विधान सभा क्षेत्र कोटद्वार में मेडिकल कॉलेज के लिए 10 से 20 करोड़ रुपये की अनुदान राशि को भी जारी करने का फैसला किया है।
दरअसल , कुछ महीने बाद उत्तराखंड में विधान सभा के चुनाव होने जा रहे हैं । माना जा रहा है कि चुनाव आयोग अगले महीने, जनवरी 2022 में विधान सभा चुनाव की तारीखों का ऐलान कर सकता है । भाजपा राज्य में लगातार दूसरी बार सरकार बनाने के लक्ष्य को लेकर चल रही है इसलिए भाजपा जहां एक ओर विरोधी दलों के नेताओं को अपनी पार्टी में शामिल करवाने के मिशन में लगी है तो वही दूसरी ओर अपनी ही पार्टी के कद्दावर नेताओं को अपने खेमे में बनाए रखने की पुरजोर कोशिश भी कर रही है।
पूर्व सीएम हरीश रावत ने जब कहा था कि 2017 के चुनाव से पहले कांग्रेस से भाजपा में गए उन्हीं नेताओं को पार्टी वापस लेगी, जो माफी मांगेंगे, तब हरक सिंह ने हरीश रावत से माफी भी मांगी थी। इसके बाद से ही हरक सिंह की कांग्रेस में वापसी के रास्ते खुलते नज़र आए थे। अब जबकि दिल्ली की बैठक के बाद हरीश रावत के हाथ मज़बूत कर दिए गए हैं, तो समीकरण क्या बन सकते हैं, इन्हें लेकर भी दिलचस्प अटकलें चल रही हैं।