कांग्रेस के उत्तराखंड प्रभारी देवेंद्र यादव ने रविवार को कहा कि अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी मुख्यमंत्री पद के लिए कोई चेहरा घोषित नहीं करेगी और सामूहिक नेतृत्व में ही चुनाव लड़ेगी तथा जीत के बाद सबसे विचार-विमर्श करके मुख्यमंत्री का चयन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि पांच साल पहले कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए नेताओं के लिए पार्टी के दरवाजे बंद नहीं हुए हैं, लेकिन उन्हें शामिल करने का निर्णय राजनीतिक आकलन के आधार पर किया जाएगा। उत्तराखंड में अगले साल फरवरी-मार्च में विधानसभा चुनाव होना है।
देवेंद्र यादव ने कहा, “भाजपा के पास एक चेहरा है, लेकिन हमारे पास 10 चेहरे हैं। ये चेहरे आपके सामने हैं। हमारे पास बड़ों का आशीर्वाद है तो युवाओं का साथ भी है। चुनाव के समय हमारे यहां नेतृत्व हमेशा पीसीसी अध्यक्ष का होता है। चुनाव अभियान समिति के प्रमुख के रूप में हमारे पास हरीश रावत जी भी हैं। हम एक सामूहिक नेतृत्व में ही इस चुनाव में जा रहे हैं।”
उन्होंने यह भी कहा कि चुनाव जीतने के बाद सबके साथ चर्चा कर मुख्यमंत्री के बारे में फैसला होगा। यह पूछे जाने पर कि क्या यह तय हो चुका है कि चुनाव से पहले कोई चेहरा घोषित नहीं होगा तो उन्होंने जवाब दिया, “नहीं।”
गौरतलब है कि कुछ महीने पहले पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने यह मांग उठाई थी कि उत्तराखंड में कांग्रेस को चेहरा घोषित करना चाहिए ताकि भाजपा चुनाव को ‘नरेंद्र मोदी बनाम कांग्रेस’ न कर सके और चुनाव प्रदेश के मुद्दों तक ही केंद्रित रहे। रावत ने यह भी स्पष्ट किया था कि पार्टी जिसे भी चेहरा बनाएगी, उसको वह पूरा समर्थन देंगे। हालांकि रावत के समर्थक उन्हें ही मुख्यमंत्री के चेहरे के तौर पेश कर रहे हैं।
हरक सिंह रावत और कई अन्य नेताओं के कांग्रेस में आगे शामिल होने की अटकलों के बारे में देवेंद्र यादव ने कहा, “मैं किसी का नाम नहीं लेना चाहता हूं। बहुत सारे लोग हैं जो कांग्रेस में शामिल होना चाहते हैं। लेकिन हम बहुत ऐहतियात के साथ कदम उठा रहे है। बहुत सोच समझकर ही लोगों को पार्टी में शामिल करा रहे हैं।”
इस सवाल पर कि क्या कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए वरिष्ठ नेताओं के लिए पार्टी के दरवाजे बंद हो गए हैं तो उन्होंने कहा, “दरवाजे बंद नहीं हुए हैं। लेकिन शामिल कराने का फैसला चुनिंदा ढंग से होगा। राजनीतिक आकलन करने के बाद ही निर्णय लेंगे।”
यादव ने यह दावा भी किया कि आम आदमी पार्टी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का इस चुनाव में कोई असर नहीं होगा तथा कांग्रेस 70 सदस्यीय विधानसभा में 50 से अधिक सीटें हासिल करेगी। उन्होंने कहा, “लोगों ने बहुत उम्मीद से भाजपा की सरकार बनाई थी, लेकिन उम्मीदों को पूरा करना छोड़ दीजिए, समस्याएं बढ़ती जा रही हैं। खासतौर पर यहां बेरोजगारी और महंगाई बहुत बड़े मुद्दे हैं। इसके अलावा भ्रष्टाचार, पलायन, महिला सुरक्षा और किसानों के मुद्दे भी हैं। अब लोग कांग्रेस की सरकार को याद कर रहे हैं।”