उत्तर प्रदेश पुलिस (UP Police) ने COVID-19 महामारी के कारण मुहर्रम के दौरान धार्मिक जुलूस (Religious Procession) निकालने पर रोक लगाई है. इस संबंध में यूपी के पुलिस महानिदेशक (DGP) मुकुल गोयल ने 31 जुलाई को सर्कुलर जारी किया था, जिसकी भाषा पर शिया मौलवियों ने आपत्ति जताई है. जबकि इस सर्कुलर (Circular) में मौलवियों को भरोसे में लेने की बात भी कही गई है कि ताकि इन धार्मिक सभाओं पर लगाए गए प्रतिबंधों का पालन हो सके.
इसलिए भड़के मौलवी
दरअसल, सर्कुलर में मुहर्रम के लिए बार-बार ‘त्योहार’ (Festival) शब्द का इस्तेमाल किया गया है, जिसे लेकर मौलवी नाखुश हैं. ऑल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड ने अब इस मुद्दे पर चर्चा के लिए सोमवार (2 अगस्त) शाम को बैठक बुलाई है. मौलवियों ने कथित तौर पर यह भी मांग की है कि योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली सरकार को इन दिशा-निर्देशों को तुरंत वापस लेना चाहिए. उन्होंने इसे ‘शिया समुदाय के खिलाफ चार्ज शीट’ करार दिया है.
इस मामले को लेकर मौलाना कल्बे नूरी ने समाचार एजेंसी आईएएनएस से कहा है, ‘यह दिशा-निर्देश अस्वीकार्य हैं क्योंकि यह शांतिप्रिय शियाओं को गलत तरीके से पेश करता है.’ वहीं मजलिस-ए-उलेमा-ए-हिंद के महासचिव मौलाना कल्बे जवाद ने कहा है कि जब यह दस्तावेज वापस ले लिए जाएंगे, तभी डीजीपी से संवाद करना संभव होगा. उन्होंने कहा, ‘इसकी भाषा निंदनीय है. हमने मुहर्रम समितियों से कहा है कि वे पुलिस और प्रशासन द्वारा बुलाई गई बैठकों का बहिष्कार करें.’
शांति भंग करने की कोशिश
शिया मरकजी चांद कमेटी के अध्यक्ष मौलाना सैफ अब्बास ने कहा है, ‘जिस भी व्यक्ति ने यह सर्कुलर तैयार किया है, वह जाहिर तौर पर शांति भंग करने की साजिश कर रहा है.’ वहीं मौलाना यासूब अब्बास ने कहा, ‘डीजीपी को पता होना चाहिए कि मुहर्रम निश्चित रूप से ‘त्योहार’ नहीं है, बल्कि यह शोक का समय है. यह दिशा-निर्देश मुस्लिम समुदाय के प्रति राज्य सरकार की संवेदनहीनता को दर्शाते हैं.’
घर के अंदर मुहर्रम मनाने के लिए कहा
डीजीपी मुकुल गोयल ने शनिवार को आदेश दिया था कि कोविड को ध्यान में रखते हुए राज्य में मुहर्रम मनाया जाना चाहिए. इस दौरान किसी भी तरह के हथियार के प्रदर्शन की अनुमति नहीं दी जाएगी. साथ ही पुलिस अधिकारियों को असामाजिक तत्वों को नियंत्रण में रखने और सोशल मीडिया पर नजर रखने के भी निर्देश दिए हैं. मुहर्रम को घर के अंदर मनाने के लिए धार्मिक नेताओं के साथ संवाद करने का भी आग्रह किया गया है.
मुहर्रम इस्लामी कैलेंडर के 4 पवित्र महीनों में से पहला महीना है. यह कर्बला की लड़ाई की सालगिरह का भी प्रतीक है, जिसमें पैगंबर मुहम्मद के पोते इमाम हुसैन इब्न अली मारे गए थे. 10 दिन के इस शोक का समय 10 अगस्त से शुरू होने वाला है. इस दौरान निकाले जाने मातमी जुलूसों में समुदाय के लोग हथियारों से खुद को जख्मी करते हैं. बता दें कि इस महीने की शुरुआत में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली सरकार ने COVID-19 के कारण कांवड़ यात्रा को भी स्थगित कर दिया था.