बिहार में जातीय जनगणना को लेकर घमासान छिड़ा हुआ है। मुख्यमंत्री नीतिश कुमार ने एनडीए से बिफर होकर अपना अलग पक्ष रखा है और जातीय जनगणना को लोगों के हित का बताया है। इसके विपरीत केंद्र सरकार ने जाति आधारित जनगणना करने से इनकार कर दिया है। लेकिन सीएम ने उनसे प्रस्ताव पर पुनर्विचार की मांग की है।
बता दें कि बिहार में डबल इंजन की सरकार है, जिससे एनडीए समर्थकों पर इसका गहरा असर पड़ सकता है। राज्य के विपक्षी दल के नेता तेजस्वी यादव लगातार सीएम पर जातीय जनगणना को मंजूरी देने का दबाब बना रहे हैं।
इस मामले पर तेजस्वी ने कहा कि सड़क से सदन तक आरजेडी ने संघर्ष किया। विधानसभा से दो बार प्रस्ताव पास हुआ केंद्र सरकार के पास गया। बीजेपी भी उसमें शामिल थी। मैंने सीएम नीतीश कुमार से अपील की थी कि एक कमिटी बनाकर पीएम से मुलाकात की जाए। इसे लेकर सभी दलों ने सीएम से मुलाकात भी की थी। 4 तारीख को सीएम ने पत्र लिख कर पीएम से मिलने का समय मांगा, लेकिन अबतक समय नहीं मिला। पीएम बंगाल के मुख्यमंत्री से मिल रहे हैं लेकिन जिस राज्य ने सबसे ज्यादा सीट लोकसभा की दी उसके सीएम को प्रधानमंत्री मिलने का समय नहीं दे रहे।
उन्होंने आगे कहा- ‘हमने ये भी अपील की है कि अगर केंद्र सरकार जनगणना करने के लिए तैयार नहीं है तो कर्नाटक की तर्ज पर राज्य सरकार करवा ले। जातिगत जनगणना की मांग करने का मतलब नहीं कि हम जाति की राजनीति करते हैं। किसी भी बीमारी के ईलाज के लिए उसके जड़ तक जाना जरूरी है। जातिगत जनगणना से पिछड़े समाज के लोगों की स्थिति पता चलेगी। आज मैंने प्रधानमंत्री को चिठ्ठी लिखी है। हमारी मांग देश हित में है। राज्य हित में है। पीएम को एक हफ्ते से समय नहीं मिल रहा तो ये नीतीश कुमार का अपमान है। पीएम सबसे मिल रहे लेकिन बिहार के मुख्यमंत्री से क्यों नहीं। हमारी मांग है कि ओबीसी का जो 27 प्रतिशत आरक्षण का दायरा है उसे भी बढ़ाने की जरूरत है। सिर्फ कानून बनाने से नहीं होगा। अगर पीएम समय नहीं देते तो सभी दल जंतर मंतर पर धरना दें। सबसे अनुभवी सीएम को प्रधानमंत्री समय नहीं दे रहे तो स्थिति समझ लें।’
गौरतलब है’कि 2021 की जनगणना पिछले साल अप्रैल से शुरू होने वाली थी, लेकिन कोरोना महामारी के कारण इसे शुरू नहीं किया जा सका। बिहार के सीएम ने पहले पीएम मोदी को पत्र लिखकर केंद्र से जाति आधारित जनगणना का आग्रह किया था। उन्होंने जाति आधारित जनगणना पर जोर देते हुए इस साल जुलाई में भी अपनी मांग रखी थी।
कई राजनीतिक दलों के अलावा राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने भी इस साल अप्रैल में केंद्र से 2021 की जनगणना कर ओबीसी आबादी पर डेटा एकत्र करने की अपील की थी। हालांकि, गृह मंत्रालय ने कहा था कि राष्ट्रीय जनगणना में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के अलावा अन्य आबादी पर जातिवार आंकड़े शामिल नहीं किए जाएंगे।