चेन्नई : तमिलनाडु के वाचथी गांव में हुए 18 महिलाओं के साथ हुए रेप के मामले में मद्रास हाईकोर्ट ने 215 सरकारी कर्मचारियों को दोषी ठहराते हुए सजा के आदेश को बरकरार रखा। यह मामला वन विभाग के अधिकारियों और पुलिसकर्मियों द्वारा एक छापेमारी के दौरान महिलाओं के यौन उत्पीड़न और आदिवासियों पर अत्याचार से जुड़ा हुआ था।
18 महिलाओं के साथ रेप
1992 में तमिलनाडु के वाचथी गांव में 1992 में चंदन की लकड़ी की तस्करी के खिलाफ पुलिस और वन विभाग द्वारा की गई छापेमारी के दौरान 18 महिलाओं के साथ रेप की यह घटना हुई थी। इसके बाद पूरे राज्य में आक्रोश फैल गया था। इससे पहले इन आरोपियों को धर्मपुरी की निचली अदालत ने दोषी ठहराते हुए दोषियों को 10 साल तक की सजा सुनाई थी। लेकिन सभी 215 लोगों ने दोषी ठहराए जाने के निचली अदालत के फैसले के खिलाफ मद्रास हाईकोर्ट में अपील की थी। लेकिन मद्रास हाईकोर्ट ने इनकी अपील खारीज कर दी और निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा।
10-10 लाख रुपये देने का निर्देश
पीड़ितों की ओर से पेश हुए वकील ने कहा कि जस्टिस पी.वेलमुरुगन ने भी शुक्रवार को 18 महिलाओं को तत्काल 10-10 लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया जो धर्मपुरी में हुई इस कुख्यात घटना के दौरान यौन उत्पीड़न का शिकार हुई थीं, जिससे समूचे राज्य में आक्रोश फैल गया था। अदालत ने इसके साथ ही बलात्कार के आरोपियों से पांच-पांच लाख रुपये वसूलने का भी निर्देश दिया। बाद में सीबीआई को घटना की जांच का जिम्मा सौंपा गया था। धर्मपुरी अदालत ने 1992 में हुई घटना के संबंध में भारतीय वन सेवा (आईएफएस) के चार अधिकारियों समेत 126 वनकर्मियों, 84 पुलिसकर्मियों और राजस्व विभाग के पांच लोगों को दोषी करार दिया था। 269 आरोपियों में से 54 की मुकदमे की सुनवाई के दौरान मौत हो गई थी।