अफगानिस्तान में गृह युद्ध के चलते अराजकता और हिंसा जारी है। इसी कड़ी में, काबुल ने देश में अशांति ला रही हिंसा को खत्म करने के लिए तालिबान को ‘सत्ता-साझाकरण’ सौदे यानी पावर-शेयरिंग डील की पेशकश की है। बता दें कि तालिबान द्वारा गवर्नर दाउद लघमनी और राष्ट्रीय पुलिस से गजनी प्रांत पर कब्जा करने के बाद ये खबर सामने आई है। गवर्नर के अंगरक्षकों को कथित तौर पर निरस्त्र कर दिया गया है और दोनों पक्षों के बीच समझौते के आधार पर काबुल ले जाया गया। डील से जुड़ी और जानकारी आना अभी बाकी है।
रिपोर्टों के अनुसार, अफगानिस्तान सरकार ने कतर को मध्यस्थ के रूप में एक प्रस्ताव पेश किया है। काबुल का प्रस्ताव तालिबान को देश में हिंसा को रोकने के बदले में सत्ता साझा करने की अनुमति देता है।
राजधानी काबुल पर 90 दिनों में हो सकता है तालिबान का कब्जा
गौरतलब है कि आतंकी समूह एक के एक बाद अफगानिस्तान के प्रमुख शहरों पर कब्जा कर रहा है और अपनी पावर बढ़ा रहा है। इस बीच अमेरिकी रक्षा अधिकारी ने अमेरिकी खुफिया आकलन का हवाला देते हुए दावा किया है कि तालिबान 30 दिनों में काबुल को अन्य इलाकों से अलग कर सकता है और संभवत: कुल 90 दिनों में इस पर कब्जा कर सकता है।
अधिकारी ने कहा कि यह आकलन अमेरिका के नेतृत्व वाली विदेशी सेना के जाने के बाद से युद्धग्रस्त देश में तालिबान की तेजी से बढ़त के आधार पर किया गया है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि यह निश्चित नहीं है क्योंकि अधिक प्रतिरोध करने से अफगान बलों को गति को उलटने में मदद मिल सकती है।
गौरतलब हा कि इससे पहले मंगलवार, 10 अगस्त को, यूरोपीय संघ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा था कि तालिबान विद्रोहियों ने अफगानिस्तान के 65% प्रमुख शहरों पर नियंत्रण कर लिया है और 11 प्रांतीय राजधानियों पर कब्जा करने या लेने की धमकी दी है। बता दें कि इस बीच कंधार जेल को भी तोड़कर तालिबान ने राजनैतिक कैदियो को छुड़ा लिया है।