उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति यू यू ललित ने रविवार को कहा कि व्यवस्थित समाज के प्रत्येक सदस्य का यह दायित्व है कि वह एक “अपराधी” को अपना बचाव करने का हरसंभव अवसर उपलब्ध कराए।
उन्होंने कहा कि यद्यपि व्यवस्थित समाज के लिये एक अपराधी को न्याय के दायरे में लाकर उसके किये का दंड दिया जाना चाहिए लेकिन कानूनी प्रतिनिधित्व हर किसी के मौलिक अधिकार का हिस्सा है।
न्यायमूर्ति ललित गुरुग्राम में हरियाणा विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा आयोजित साल भर चलने वाले “सभी तक न्याय की पहुंच के लिये सेवाओं की गुणवत्ता महत्वपूर्ण” अभियान की शुरुआत के मौके पर बोल रहे थे।
उन्होंने कहा, “ यह सच है कि एक व्यवस्थित समाज के लिये अपराधी को कानून के दायरे में लाया जाना चाहिए, एक अपराधी के खिलाफ कार्यवाही होनी चाहिए और एक अपराधी को उसके गलत कामों की सजा मिलनी चाहिए। लेकिन इसके साथ ही एक व्यवस्थित समाज में, समाज के प्रत्येक सदस्य का यह दायित्व है कि वह उसे बचाव का हर संभव अवसर उपलब्ध कराए।”
उन्होंने कहा कि बीते डेढ़ वर्ष के दौरान जब कोविड-19 के कारण संपूर्ण मानवता रक्षात्मक मुद्रा में थी और डिजिटल मंच “समाधान के मंच” के तौर पर उभरे।
उन्होंने कहा कि सभी बातचीत, चाहे सार्वजनिक कार्यालयों हो या अन्य स्थल, यहां तक की मनोरंजन और अन्य चीजें भी महामारी के कारण पूरी तरह से लीक से हट गए थे। हालांकि स्थिति ने हमें समय के साथ बदलाव, नवोन्मेषी होना सिखाया और “अपने अंदर से श्रेष्ठ निकालने” का मौका दिया।
उन्होंने कहा, “इसने हमें सिखाया कि डिजिटल मंच समाधान का जरिया हो सकता है, जहां हमारी कई समस्याएं सुलझ सकती हैं।” उन्होंने कहा कि आज सभी अदालतें डिजिटल माध्यमों से कामकाज कर रही हैं।
न्यायमूर्ति ललित ने राज्य में सभी 22 जिला विधिक सेवा प्राधिकरणों (डीएलएसए) में वीडियो कॉन्फ्रेंस सेवा का भी उद्घाटन किया, यह एक संवादात्मक मंच है जो कानून के सहायक वकीलों और मुवक्किलों में संवादहीनता को कम करेगा।