आमतौर पर बड़े कारोबारियों को बैंक आसानी से लोन देते हैं, जबकि छोटे कारोबारी और स्ट्रीट वेंडर को लोन देने में आनाकानी करते हैं। बैंक ऐसा आवश्यक कागजी कार्रवाई को लेकर करते हैं। लेकिन, लोन चुकाने में बड़े कारोबारियों के मुकाबले स्ट्रीट वेंडर का रिकॉर्ड बेहतर साबित हुआ है। भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की रिपोर्ट के मुताबिक, पीएम स्वनिधि योजना के तहत दूसरी बार लोन लिए स्ट्रीट वेंडर ने तय समय पर लोन चुकाया है, जिससे बैंक का एनपीए इस तरह के लोन में मात्र 1.7% रहा। अगर कोई लोन 90 दिनों तक भुगतान नहीं किया जाता है तो वह एनपीए की श्रेणी में आ जाता है।
कुल 955 करोड़ के लोन में सिर्फ 172 करोड़ एनपीए
पिछले सप्ताह के सिविल सेवा दिवस पर एसबीआई के चेयरमैन दिनेश कुमार खारा ने कहा कि एसबीआई ने स्वनिधि योजना के तहत लगभग 955 करोड़ रुपये का लोन दिया है, जिसमें से लगभग 172 करोड़ रुपये का लोन ही एनपीए की श्रेणी में आया है। उन्होंने कहा कि सूक्ष्म और लघु उद्यमों के लिए क्रेडिट गारंटी ट्रस्ट द्वारा कवर किए गए लोन में से लगभग 78 करोड़ रुपये की वसूली बैंक कर सकता है। यानी सिर्फ 94 करोड़ रुपये का लोन एनपीए होगा। यह बहुत ही छोटी रकम है। कॉरपोरेट क्षेत्र के एक एनपीए इससे बड़ा होता है। इससे बैंक की बैलेंसशीट पर एनपीए का बोझ नहीं बढ़ेगा।
बहुत सारे लोग पहली बार बैंकिंग प्रणाली से जुड़े
एसबीआई चेयरमैन ने कहा कि स्ट्रीट वेंडर को लोन देकर हम पहली बार बड़ी आबादी तक पहुंचने में कामयाब हुए हैं। लोन लेने वाले में अधिकांश पहली बार बैंकिंग प्रणाली से जुड़े हैं। ऐसे में उन्हें किस तरह के क्रेडिट अनुशासन का पालन करना है पता नहीं। हां, जिन्होंने दूसरी बार लोन लिया वो किशतों का भुगातन समय पर किया है। एसबीआई प्रमुख ने कहा, अब लोग क्रेडिट अनुशासन के महत्व को समझने लगे हैं और अगर वे इसका पालन करते हैं, तो लोन की उपलब्धता कोई चुनौती नहीं है। उन्होंने बताया कि स्ट्रीट वेंडर्स को दिए गए कुल 3,170 करोड़ रुपये के ऋण में से एक चौथाई से अधिक एसबीआई द्वारा पिछले महीने तक जारी किया गया है। इस योजना के तहत सीजीटीएमएसई द्वारा गारंटीकृत ऋण 7% की मामूली ब्याज पर दिया जाता है।
क्या है पीएम स्वनिधि योजना?
केंद्र सरकार स्ट्रीट वेंडर्स के लिए एक विशेष माइक्रो क्रेडिट सुविधा देती है। इसे पीएम स्ट्रीट वेंडर्स आत्मनिर्भर निधि (पीएम स्वनिधि) नाम दिया गया है। इसके तहत फेरी या ठेला लगाकर सामान बेचने वाले लोग लोन प्राप्त कर सकते हैं। सरकार ने इन्हें पथ विक्रेता का नाम दिया है। इस योजना के तहत उन्हीं वेंडर यानी फेरीवालों को लोन की सुविधा दी जाती है। इसके तहत 10 हजार रुपये का लोन दिया जाता है।