रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद अमेरिका समेत यूरोप के कई ताकतवर मुल्कों ने रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगा दिया है। लेकिन इस बीच रूस के एक बड़े अधिकारी के दावे ने भारत समेत पूरी दुनिया को हैरान कर दिया है। इस दावे के मुताबिक रूस पर आर्थिक प्रतिबंध के नाम पर अमेरिका एक बार फिर अपनी दादागिरी दिखा रहा है। ताकतवर मुल्क पाबंदी के नाम पर दोहरा रवैया अपना रहे हैं। आखिर क्या है मामला, आइये जानते हैं।
दरअसल इस मामले को रूसी सुरक्षा काउंसिल के डिप्टी सेक्रेटरी मिखाइल पोपोव ने उजागर किया है। उन्होंने दावा किया है कि यूक्रेन युद्ध के दौरान पिछले सप्ताह ही अमेरिका ने रूस से 43 फीसदी ज्यादा यानी करीब हर रोज एक लाख बैरल तेल खरीदी है।
इससे पहले भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भी एक कार्यक्रम में यूरोप द्वारा रूस से मार्च में ज्यादा तेल खरीदने की बात कही थी। जयशंकर ने कहा था, “फरवरी में जंग शुरू होने के बाद मार्च में यूरोप ने रूस से 15% ज्यादा तेल खरीदा है। अगर रूस के तेल और गैस के प्रमुख खरीददारों को देखें तो इनमें ज्यादातर यूरोपीय देश ही शामिल हैं।’
अमेरिका रोज रूस पर प्रतिबंध लगाकर भारत और अन्य दूसरे देशों को उससे बिजनेस करने से रोक रहा है, लेकिन खुद रूस से ज्यादा तेल खरीद रहा है। यह केवल एक देश अमेरिका की बात नहीं है, बल्कि यूरोप से भी इसी तरह की खबरें आ रही हैं।
आपको बता दें कि दुनिया में सिर्फ दो संस्था और एक देश ऐसा है, जिसके द्वारा लगाए जाने वाले पाबंदियों का असर किसी देश की अर्थ व्यवस्था पर देखने को मिलता है। इनमें पहला संयुक्त राष्ट्र है, जिसके सदस्य दुनिया के 193 देश हैं। दूसरा यूरोपीय यूनियन है, जिसके कुल 28 देश सदस्य हैं। वहीं, अमेरिका तीसरे नंबर पर आता है। अमेरिका की बातों को NATO समेत कई छोटे देश मानते हैं।इस वक्त यूरोपिय यूनियन और संयुक्त, संयुक्त राष्ट्र और अमेरिका ने मिलकर दुनिया के 32 देशों या संस्थाओं पर पाबंदियां लगाई हुईं हैं।