राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (Rashtriya Swayamsevak Sangh) के प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) मंगलवार को उदय माहूरकर (Uday Mahurkar) की पुस्तक ‘वीर सावरकर- द मैन हू कैन्ड प्रिवेंटेड पार्टिशन (Veer Savarkar – The Man Who Could Have Prevented Partition)’ के विमोचन कार्यक्रम में शामिल हुए। इस दौरान उन्होंने कहा कि “विनायक दामोदर सावरकर (Vinayak Damodar Savarkar) को निशाना बनाने के लिए जानबूझकर प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन याद रहे कि टारगेट कोई व्यक्ति नहीं बल्कि भारत का राष्ट्रवाद था। इसलिए यदि सभी एकजुट हैं, तो कई लोग काम-धंधा से बाहर हो जाएंगे।”
आरएसएस प्रमुख भागवत ने कहा, “सावरकर एक राष्ट्रवादी और दूरदर्शी थे, उन्होंने जो कुछ भी कहा वह सच हो गया है, आज इसे सावरकर का युग कहना गलत नहीं है क्योंकि यह राष्ट्रवादियों का युग है।” आरएसएस प्रमुख ने कहा कि “सावरकर ने उस समय की स्थिति को देखते हुए हिंदुत्व पर व्याख्या करना आवश्यक समझा था। इतने सालों के बाद अब जब हम स्थिति को देखते हैं तो दिमाग में आता है कि जोर से बोलने की जरूरत थी, अगर सभी बोलते तो शायद बंटवारा नहीं होता।”
संघ चीफ मोहन भागवत ने आरएसएस के दिवंगत विचारक पी परमेश्वरन (P Parameswaran) को याद किया। पी परमेश्वरन ने कहा था कि “सावरकर को बदनाम करने के बाद स्वामी दयानंद सरस्वती (Swami Dayanand Saraswati), स्वामी विवेकानंद (Swami Vivekananda) और योगी अरविंद (Yogi Arvind) को निशाना बनाया जाएगा क्योंकि उनके विचारों ने सावरकर से प्रेरणा ली और वह भारत में राष्ट्रवाद के दिग्गज थे।”
आरएसएस प्रमुख ने हिंदू धर्म को एकता की ताकत बताते हुए कहा, “मातृभूमि को एकजुट रखना हमारी जिम्मेदारी है। योगी अरविंद ने कहा था कि आखिरकार, अखंड भारत अस्तित्व में आएगा। राम मनोहर लोहिया ने भी अखंड भारत का सपना देखा था। अंडमान जेल में सावरकर का अनुभव रहा कि अंग्रेजों के लिए देश के अस्तित्व और संपत्ति को लूटने के लिए ‘फूट डालो और राज करो’ नियम को अपनाना जरूरी था।”