दिल्ली के टिकरी बॉर्डर और गाजीपुर बॉर्डर से दिल्ली पुलिस ने अपनी बैरिकेडिंग तो हटा ली है लेकिन इस कार्रवाई से आम जनता को कोई फायदा नहीं मिला है क्योंकि अभी भी इन रास्तों पर किसानों का कब्जा है और टेंट-तंबू लगे हुए हैं। किसानों ने टिकरी बॉर्डर पर सिर्फ 5 फिट का रास्ता दिया है लेकिन शर्त ये रखी है कि सिर्फ टू व्हीलर और एंबुलेंस ही जा पाएंगे। गाजीपुर बॉर्डर पर तो कोई भी सहूलियत नहीं मिली है। पुलिस के बैरिकेड हट गए हैं लेकिन अभी भी आवाजाही बंद है। इस बीच राकेश टिकैत की नई धमकी भी आई है। उन्होंने कहा कि अगर जबरन हटाया गया तो सरकारी दफ्तरों को गल्ला मंडी बना देंगे।
टिकरी बॉर्डर पर सिर्फ टू व्हीलर्स-एंबुलेंस को रास्ता
किसानों ने साफ कर दिया कि वो फिलहाल दिल्ली के बॉर्डर को खाली करने के मूड में नहीं हैं। दिल्ली पुलिस भले ही रोड से अपने बोल्डर और बैरिकेडिंग हटा दे लेकिन किसान अपने तंबू नहीं हटाएंगे। किसानों ने टिकरी बॉर्डर पर सड़क का एक हिस्सा खोला है लेकिन इसमें सिर्फ टू व्हीलर्स और एंबुलेंस को ही जाने की इजाज़त दी जाएगी। इसके लिए भी समय तय किया गया है सुबह 7 बजे से रात 8 बजे तक इस रोड को टू व्हीलर्स के लिए खोला जाएगा और रात 8 बजे से सुबह 7 बजे तक रोड फिर बंद कर दी जाएगी।
टिकरी बॉर्डर बंद होने से परेशानी
1. इंडस्ट्रियल इलाके पर असर
2. सामान की सप्लाई में देरी
3. फल-सब्जी-दूध की सप्लाई रुकी
4. हरियाणा आने-जाने में वक्त बर्बाद
5. एक्स्ट्रा चक्कर लगाती हैं गाड़ियां
जो रास्ता महज कुछ मिनटों में तय हो सकता है। उसको तय करने के लिए लोगों को सात-आठ किलोमीटर ज्यादा चलकर जाना पड़ रहा है। आम जनता ये मुसीबत पिछले 11 महीने से झेल रही है। एक तरफ किसानों के इस आंदोलन से जनता परेशान है तो राकेश टिकैत लगातार धमकी देते नजर आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि अगर जबरन हटाया गया तो सरकारी दफ्तरों को गल्ला मंडी बना देंगे। इससे पहले टिकैत ने कहा था कि सरकार हठधर्मिता छोड़े, वरना संघर्ष और तेज होगा।