संसद के मानसून सत्र में विपक्ष पेगासस जासूसी कांड (Pegasus Spyware scandal), बढ़ती महंगाई, और किसान बिल जैसे कई मुद्दों पर केंद्र सरकार को घेरने की कोशिश में जुटी हुई है. पिछले दो सप्ताह से संसद के दोनों सदनों में जमकर हंगामा मचा हुआ है. इस बीच ANI की रिपोर्ट से एक हैरान करने वाली बात सामने आई है. बताया जा रहा है कि चालू मानसून सत्र में राज्यसभा की कार्रवाई बुरी तह से प्रभावित हुई है.
रिपोर्ट की मानें तो मानसून सत्र के दूसरे सप्ताह में राज्यसभा की प्रोडक्टिविटी में भारी गिरावट आई है. इस सप्ताह राज्यसभा की प्रोडक्टिविटी में 13.70 प्रतिशत की गिरावट आई जो कि पिछले सप्ताह 32.20 प्रतिशत थी. पिछले दो सप्ताह में प्रोडक्टिविटी 21.60 रही.
एएनआई के मुताबिक इस राज्यसभा के लिए उपलब्ध कार्य के कुल 50 घंटों में हंगामे की वजह से 39 घंटे 52 मिनट बर्बाद हुए. रिपोर्ट के मुताबिक इस बार राज्य सभा की बैठक अपने निर्धारित समय से 1 घंटा 52 मिनट अधिक हुई बावजूद इसके सदन की प्रोडक्टिविटी में भारी गिरावट दर्ज की गई है. उच्च सदन में पहले दो सप्ताह में कुल नौ बैठकों में प्रश्न काल मात्र एक घंटे 38 मिनट का ही हो सका.
जनता के 133 करोड़ रुपये बर्बाद
वहीं अगर दोनों सदनों की बात करें तों संसद में अब तक 107 घंटों में से काम सिर्फ 18 घंटे ही हुआ है. इसका साफ तौर पर मतलब यह है कि कुल 89 घंटे विपक्ष के शोर शराबे और हंगामें की भेंट चढ़ गए. रिपोर्ट्स का अगर आंकलन किया जाए तो घंटों की बर्बादी के अनुसार देश में कर देने वाली जनता के कुल 133 करोड़ रुपये बर्बाद हो गए.
लोकसभा में मौजूदा सत्र के दौरान सिर्फ 7 घंटे का कामकाज हुआ है, जबकि यहां 19 जुलाई से लेकर अब तक करीब 54 घंटे तक का काम हो सकता था.
नए मंत्रियों के परिचय के समय भी जारी रहा था हंगामा
मानसून सत्र के पहले दिन विपक्ष के हंगामे के बीच प्रधानमंत्री को संसद में अपने नए मंत्रियों का परिचय तक नहीं कराने दिया गया. सदन की कार्यवाही स्थगित होने तक हंगामा चलता रहा. हंगामे के बीच पीएम मोदी ने कहा था, ‘मैंने सोचा था कि संसद में उत्साह होगा क्योंकि इतनी महिलाएं, दलित, आदिवासी मंत्री बनाए गए हैं. इस बार हमारे कृषि और ग्रामीण पृष्ठभूमि के साथियों, ओबीसी समुदाय को मंत्री परिषद में जगह दी गई है.’ लेकिन विपक्षी दलों ने प्रधानमंत्री के अभिभाषण को बाधित करने वाले नारे लगाए और बाद में सदन के पटल पर आ गए.