केंद्र सरकार ने इलेक्ट्रॉनिक इंडस्ट्री को 15 जुलाई के बाद और अगले एक साल के लिए निर्मित उत्पादों के लेबल पर क्यूआर कोड के माध्यम से कुछ जरूरी डिटेल देने की अनुमति दी है। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने शनिवार कहा कि हालांकि इंडस्ट्री को अधिकतम खुदरा मूल्य (MRP), फोन नंबर और ई-मेल आईडी जैसी जरूरी जानकारी पैकेज पर देनी होगी। इन संशोधनों को विधिक माप विज्ञान (पैक किए गए उत्पाद) नियम 2011 के तहत लाया गया और ये 14 जुलाई से प्रभावी हो गए हैं।
एक साल के लिए पायलट आधार पर इस्तेमाल शुरू
इस मामले पर ज्यादा जानकारी के लिए मंत्रालय के एक अधिकारी ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, “पहले, नियमानुसार पैकेज पर कई घोषणाएं करनी होती थीं। अब हमने इलेक्ट्रॉनिक उद्योग को क्यूआर कोड फॉर्म के जरिए कुछ जरूरी घोषणाओं का विकल्प दिया है।” उन्होंने बताया कि डिटेल्स क्यूआर कोड के जरिए देने की स्थिति में पैकेज पर ग्राहकों को यह सूचना देनी होगी। यह विकल्प पहले एक साल के लिए दिया गया है क्योंकि सरकार इस तकनीक को पहली बार पायलट आधार पर इस्तेमाल करने की कोशिश कर रही है और इसके बाद जो प्रतिक्रिया मिलेगी उसके आधार पर इसे विस्तार देने के बारे में फैसला किया जाएगा।
QR कोड में क्या-क्या जानकारी देने की इजाजत
मंत्रालय के अधिकारी ने बताया कि पैकेज पर QR कोड के माध्यम से अतिरिक्त जरूरी डिटेल्स जैसे निर्माता या पैकर और इंपोर्टर का पता, प्रोडक्ट का कॉमन या जेनेरिक नाम, उस प्रोडक्ट का आकार और डायमेन्शन और कस्ट्यूमर केयर की डिटेल देने की इजाजत दी गई है। अधिकारी ने आगे बताया कि अगर कोई निर्माता कंपनी पैकेज पर क्यूआर कोड के माध्यम से डिटेल देगी तो उसे पैकेज पर ये लिखना होगा कि उपभोक्ता अन्य संबंधित विवरणों के लिए क्यूआर कोड को स्कैन करें।
क्या होता है QR कोड
क्यूआर कोड (QR Code) का पूरा नाम क्विक रिस्पॉन्स कोड है। यह दरअसल, बार कोड का ही एडवांस्ड वर्जन है। जहां बार कोड में आपको बहुत सारी लाइंस दिखती हैं, जबकि क्यूआर कोड कई सारे स्क्वेयर शेप के डॉट्स में एक बड़ा स्क्वेयर जैसा दिखता है। QR कोड बार कोड के मुकाबले काफी ज्यादा इन्फोर्मेशन स्टोर कर सकता है। QR कोड नंबर्स, अल्फाबेट्स, फोटो और वीडियो की भी इन्फोर्मेशन रख सकता है।