ऑनलाइन गेम युवाओं के लिए एक खुशी और माता-पिता के लिए एक बुरा सपना है. गरेना फ्री फायर, पोकेमॉन, बैटलग्राउंड मोबाइल इंडिया, ग्रैंड थेफ्ट ऑटो वी, माइनक्राफ्ट, फ़ोर्टनाइट जैसे कई ऑनलाइन गेम अपने रोमांचक एक्शन, ग्राफिक्स और इंटरैक्टिव नेचर के साथ युवाओं को लुभाने में सफल हुए हैं. बच्चे प्रभावित हो जाते हैं और दिन-रात बिना रुके खेलते रहते हैं. जब माता-पिता अपने बच्चों को इस तरह से इन खेलों में अपना समय बर्बाद करते हुए देखते हैं, तो वे विचलित हो जाते हैं और वे उनके भविष्य के बारे चिंतित होते हैं. उन माता-पिता के लिए यह खबर खुश कर सकती है और उन बच्चों के लिए बुरी खबर है, जो इन गेम्स को खेलते हैं.
बैन करने की रखी मांग
टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक, बच्चों पर ऑनलाइन गेम के नकारात्मक प्रभावों की ओर इशारा करते हुए अतिरिक्त जिला न्यायाधीश ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इन गेम को बैन करने की मांग रखी है. अतिरिक्त जिला न्यायाधीश नरेश कुमार लाका ने पीएम मोदी को लेटर लिखकर रिक्वेस्ट की है कि फ्री फायर और पबजी इंडिया गेम को बैन किया जाए. उसी आधार पर जैसे सरकार ने पिछले साल गेम को बैन किया था.
लेटर में लिखी यह बात
उन्होंने लिखा, ‘देश के नागरिकों ने पबजी मोबाइल पर प्रतिबंध लगाने में आपकी कार्रवाई की सराहना की. लेकिन हाल ही में दो समान गेम, फ्री फायर (गेरेना फ्री फायर – रैम्पेज) और पबजी इंडिया (बैटल ग्राउंड्स मोबाइल इंडिया) भी पिछले पबजी की तरह बच्चों पर प्रभाव डाल रहे हैं.’
लाका ने कहा कि बच्चे लंबे समय तक ऐसे खेल खेलते रहते हैं, जिससे उनका सामान्य जीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है और उनका परिवार और सामाजिक व्यवहार प्रभावित होता है. उन्होंने सुझाव दिया कि इस तरह के खेलों के लिए बच्चों के जोखिम को प्रतिबंधित करने के लिए एक कानून बनाया जाए.