30 नवंबर 2020 तक भारत में 9,27,606 से अधिक बच्चे गंभीर रूप से कुपोषित हैं। यह जानकारी केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने गुरुवार को राज्यसभा को एक लिखित उत्तर में दी। ईरानी ने आगे बताया कि 9 लाख बच्चों में से 3,98,359 उत्तर प्रदेश राज्य से हैं। ‘आप’ सांसद संजय सिंह के जवाब में ईरानी ने कहा कि एकीकृत बाल विकास सेवा (आईसीडीएस) के तहत इन बच्चों को पूरक पोषाहार मुहैया कराया जाता है।
9 लाख से ज्यादा बच्चे गंभीर रूप से कुपोषित
ईरानी ने कहा कि 0-6 वर्ष के आयु वर्ग के बच्चों में कुपोषण का मुकाबला करने के लिए 8 मार्च, 2018 को पोषण अभियान शुरू किया गया था। ईरानी ने बताया कि पोषण मिशन 2.0 के तहत गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं पर ध्यान केंद्रित किया गया था। जिसके लिए सभी को पोषण सामग्री दिया जा रहा है। आंकड़ों के मुताबिक 2017-18 से 2020-21 तक राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को 5312.79 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं। वहीं 31 मार्च, 2021 तक 2985.56 करोड़ का ही उपयोग किया गया है।
आंगनबाड़ी के तहत अब तक वितरित और उपयोग की गई राशि का राज्य-वार विवरण देते हुए बताया कि 2020-21 के लिए राज्यों को 15797 करोड़ रुपये वितरित किए गए हैं। इसमें उत्तर प्रदेश को 1985 करोड़ रुपये, बिहार को 1270 करोड़ रुपये, मध्य प्रदेश को 1270 करोड़ रुपये और 1220 करोड़ रुपये, महाराष्ट्र 1187 करोड़ रुपये दिए गए हैं।
2019-2020 में 16813 करोड़ रुपये का वितरण किया गया और 17304 करोड़ रुपये का उपयोग किया गया। वहीं, 2018-19 में 16750 करोड़ रुपये का वितरण किया गया था, जिसमें से 15150 करोड़ रुपये का उपयोग किया गया। वहीं वित्त वर्ष 2020-21 का फंड उपयोग आज तक नहीं किया गया है।
दिसंबर 2020 में जारी राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 5 के अनुसार 22 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में से 13 में कुपोषित बच्चों का प्रतिशत बढ़ा है। सबसे अधिक गुजरात (39%), उसके बाद महाराष्ट्र (35%), पश्चिम बंगाल (33.8%), तेलंगाना (33.1%) और केरल में 23.4% देखा गया है। इसके अलावा, सर्वेक्षण में पाया गया कि 22 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में से 13 में आधे से अधिक बच्चे और महिलाएं एनीमिक हैं।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4 की तुलना में आधे राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में गर्भवती महिलाओं में एनीमिया की वृद्धि हुई है।
भारत में कम से कम 60 प्रतिशत बच्चों की मृत्यु कुपोषण के कारण होती है, क्योंकि कमजोर बच्चों में प्रतिरोधक क्षमता बहुत कम होती है। विशेषज्ञों का मानना है कि ये आंकड़े महामारी से पहले की अवधि से संबंधित है। COVID-19 के बाद एकत्र किए गए NFHS डेटा में हालात और भी गंभीर हैं।