गोवा में विपक्षी दलों ने आगामी विधानसभा सत्र में ‘भूमिपुत्रों’ पर विवादास्पद विधेयक को फिर से पेश करने के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत के फैसले की आलोचना करते हुए आरोप लगाया कि प्रदेश सरकार ने “लोकतंत्र की हत्या” कर दी।
गोवा के लोगों को मंगलवार को संबोधित करते हुए सावंत ने कहा कि लोगों की भावनाओं पर विचार करते हुए “भूमिपुत्र अधिकारिणी विधेयक” का नाम बदलकर अब “भूमि अधिकारिणी विधेयक” होगा और इसे आगामी दो महीनों में होने वाले विधानसभा के अगले सत्र में पुन: पेश किया जाएगा।
गोवा विधानसभा ने पिछले हफ्ते गोवा भूमिपुत्र आधिकारिणी विधेयक, 2021 पारित किया था जो छोटी आवासीय इकाइयों में रहने वाले ‘भूमिपुत्रों’ को मालिकाना हक प्रदान करने की व्यवस्था करता है।
विधेयक के मौजूदा स्वरूप को लेकर विभिन्न वर्गों ने आपत्ति जताई थी जिसके बाद सावंत ने कहा था कि चार अगस्त से यह विधेयक जनता के सुझावों के लिए उपलब्ध होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह विधेयक गोवावासियों के लिये फायदेमंद होगा और विपक्षी सदस्यों के सुझावों को खारिज किया कि यह प्रवासी ‘वोट बैंक’ को खुश करने के उद्देश्य से लाया गया है।
विधानसभा में विपक्ष के नेता दिगंबर कामत ने हालांकि सरकार के इस फैसले पर निशाना साधा है।
कांग्रेस नेता ने मंगलवार को ट्वीट किया, “पिछले विधानसभा सत्र के पहले दिन, मैंने कहा था कि लोकतंत्र के मंदिर में भाजपा सरकार ने लोकतंत्र की हत्या कर दी है। गोवा के मुख्यमंत्री के झूठ अब सामने आ गए हैं। सत्य की हमेशा जीत होती है। सत्यमेव जयते।”
गोवा फॉरवर्ड पार्टी के विधायक विजय सरदेसाई ने भी सरकार के विधेयक को फिर से पेश करने के फैसले की आलोचना की है।