वित्त राज्यमंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने कहा कि फिलहाल सरकारी बैंकों के मर्जर की सरकार की कोई योजना नहीं है. न ही इसको लेकर किसी तरह का कोई प्रस्ताव भी दिया गया है. पहले ही बजट 2021 में दो बैंकों का निजीकरण किया जाएगा इसकी घोषणा हो चुकी है.
पहले बजट में हुई थी घोषणा
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी 2021 को बजट पेश करते हुए दो बैंकों और एक सरकारी इंश्योरेंस कंपनी के निजीकरण का ऐलान किया था. सरकार ने चालू वित्त वर्ष यानी 2021-22 के लिए विनिवेश और निजीकरण का लक्ष्य 1.75 लाख करोड़ रुपए भी रखा है. आपको बता दें कि निजीकरण के लिए सलेक्शन का नीति आयोग को काम दिया गया है. वर्तमान जानकारी के अनुसार, इंडियन ओवरसीज बैंक और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया का चयन निजीकरण के लिए किया गया है. लेकिन अभी तक इसकी आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है.
कब-कब किया बैंकों का मर्जर
सरकारी बैंकों की हालत में सुधार के लिए मोदी सरकार ने दो अलग-अलग चरण में मर्जर की प्रक्रिया अपनाई. 2019 में 10 सरकारी बैंकों का मर्जर किया गया था. इस समय छह कमजोर बैंकों का मर्जर चार बड़े बैंकों में किया गया था. वहीं, पंजाब नेशनल बैंक में ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स और यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया का मर्जर किया गया. फिर इलाहाबाद बैंक का मर्जर इंडियन बैंक में किया गया. सिंडीकेट बैंक का मर्जर केनरा बैंक में किया गया. यूनियन बैंक ऑफ इंडिया में आंध्रा बैंक और कॉर्पोरेशन बैंक का मर्जर किया गया था.
SBI में पहले चरण में मर्जर
पहले चरण में देश के सबसे बड़े सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में पांच एसोसिएट बैंक्स का मर्जर किया गया. इसके अलावा विजया बैंक और देना बैंक का मर्जर बैंक ऑफ बड़ौदा में किया गया था. इस समय देश में सार्वजनिक क्षेत्र के कुल 12 बैंक हैं.
5 साल बैंकों की हुई कमाई
मर्जर का असर दिखने लगा है. इससे बैंकों की कमाई बढ़ी है. कोरोना महामारी के बावजूद वित्त वर्ष 2020-21 में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने पांच साल में पहली बार कमाई की. 12 बैंकों की कुल कमाई पिछले वित्त वर्ष 31817 करोड़ रुपए रही. बैड लोन की समस्या धीरे-धीरे कम हो रही है, जिसके कारण बैंकों की हालत में सुधार आ रहा है. वित्त वर्ष 2019-20 में सरकारी बैंकों का कुल नुकसान 26015 करोड़ रहा था. केवल पंजाब एंड सिंध बैंक और सेंट्रल बैंक को नुकसान झेलना पड़ा.