संसद द्वारा पारित तीन कृषि कानून का विरोध किसान तकरीबन 8 महीने से कर रहे हैं। पंजाब-हरियाणा के किसान दिल्ली से सटे सिंघू बार्डर पर धरना दे रहे हैं। सरकार के प्रतिनिधिमंडल और किसान नेताओं के बीच कई दौर के बातचीत के बावजूद भी समाधान नहीं निकल सका है।
हाल ही में कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने कृषि कानून पर बोलते हुए कहा है कि कृषि सुधार कानून किसानों के लिए लाभप्रद है, उनके हित में है। उन्होंने कहा कि किसानों के आंदोलन पर सरकार ने पूरी संवेदना दिखाई है।
कृषि मंत्री ने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि सरकार ने हमेशा ही खुले मन से मुद्दों पर चर्चा की है। उन्होंने बताया कि पीएम मोदी चाहते हैं कि सभी मुद्दों पर सार्थक चर्चा हो।
उन्होंने किसानों को भी वार्ता के लिए आगे आने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि किसान नेताओं को चाहिए कि सरकार से जितनी बात हुई है, उसके आगे कोई प्रस्ताव लेकर आए।
कृषि मंत्री ने स्पष्ट किया, “देश ने देखा है, कृषि कानून फायदेमंद है और किसानों के पक्ष में है। हमने इन कानूनों के बारे में चर्चा की है। यदि वे बिंदुवार कानूनों के साथ अपने मुद्दों को व्यक्त करते हैं, तो हम इसपर चर्चा कर सकते हैं।”
बता दें कि किसान संघ ने 22 जुलाई से संसद के मानसून सत्र के अंत तक कृषि कानूनों को लेकर विरोध प्रदर्शन की योजना बनाई है। संयुक्त किसान मोर्चा ने यह भी धमकी दिया है 200 किसान कृषि कानूनों को निरस्त करने के लिए संसद के बाहर प्रदर्शन करेंगे।
किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा, “प्रदर्शन शांतिपूर्वक होगा और हम इसके लिए एक खाका भी तैयार कर रहे हैं । उन्होंने कहा कि जब तक हमारी मांगें मान नहीं ली जाती, तब तक हम संसद के बाहर बैठे रहेंगे। “
गौरतलब है कि रविवार को दिल्ली पुलिस की एक टीम मानसून सत्र से पहले किसानों के प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की। यह मुलाकात सिंघू बार्डर पर हुई। इससे पहले संयुक्त किसान मोर्चा के नेता राकेश टिकैत ने घोषणा की थी कि मानसून सत्र के दौरान किसान संसद के बाहर प्रदर्शन करेंगे।
रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली पुलिस किसान नेताओं को प्रदर्शन करने के लिए मानसून सत्र के दौरान दिल्ली में एक अलग जगह देने पर बातचीत की है। दिल्ली पुलिस का कहना है कि सुरक्षा के मद्देनजर मानसून सत्र के दौरान संसद के बाहर विरोध प्रदर्शन नहीं करने दिया जा सकता है।