अनुच्छेद 370 निरस्त होने के बाद आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) अपने पहले जम्मू कश्मीर दौरे पर हैं। जम्मू विश्वविद्यालय के जनरल जोरावर सिंह सभागार में एक संगोष्ठी को संबोधित करते हुए भागवत ने कहा की 370 निरस्त होने के बाद केंद्रशासित प्रदेश में कई बदलाव आए। उन्होंने कहा कि लोग इससे खुश हैं कि श्यामा प्रसाद मुखर्जी के दिए गए बलिदान का मकसद पूरा हुआ।
मोहन भागवत ने कहा, “मुझसे कहा जा रहा था कि मैं अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद (जम्मू) आ रहा हूं । धारा 370 को हटाया गया या नहीं लेकिन व्यवस्था में काफी बदलाव आया है। कोई भी प्रणाली एक उद्देश्य, स्थिति और प्रकृति के अनुसार होनी चाहिए। आरएसएस प्रमुख ने कहा की केवल व्यवस्था में बदलाव पर्याप्त नहीं है। क्योंकि सिस्टम चलाने वाले लोग समाज से हैं। एक अंग्रेजी कहावत है- लोगों को वह सरकार मिलती है जिसके वे हकदार हैं।
इसके अलावा भागवत ने जानकारी दी कि आरएसएस लोगों के बीच देशभक्ति की भावना को बढ़ावा देने के लिए जम्मू-कश्मीर में और शाखाएं स्थापित करने की योजना बना रही है। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि भारत एक बहुत ही विविध राष्ट्र है। उन्होंने बताया कि भारतीयों की एकता राष्ट्र की सुरक्षा का मार्ग प्रशस्त करेगी।
अनुच्छेद 370 को निरस्त करना और पीएजीडी का गठन
गौरतलब है की 5 अगस्त 2019 में संसद के दोनों सदनों द्वारा अनुच्छेद 370 को रद्द करने के लिए कानून पारित किया गया। राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिया गया। इसका मतलब यह था कि जम्मू-कश्मीर (J&K) का विशेष दर्जा समाप्त कर दिया गया। इसके अलावा इस क्षेत्र को जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित किया गया था।