आइजोल: मिजोरम के मुख्यमंत्री ज़ोरमथांगा की सरकार ने केंद्र सरकार के एक आदेश को मानने से साफ इनकार कर दिया है। दरअसल, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने ज़ोरमथांगा सरकार को ये निर्देश दिए थे कि राज्य में शरण लेने वाले म्यांमार के शरणार्थियों का बायोमेट्रिक डेटा एकत्र किया जाए। लेकिन मिजोरम सरकार ने कैबिनेट बैठक के दौरान ये फैसला किया कि वह केंद्र सरकार के आदेश का पालन नहीं करेगी। मिजोरम के मंत्री लालरुआत्किमा ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि म्यांमार शरणार्थियों से बायोमेट्रिक डेटा का संग्रह भेदभावपूर्ण माना जाएगा, उन्होंने कहा कि इन शरणार्थियों को हम सगे भाइयों और बहनों के जैसा मानते हैं।
कैबिनेट ने लिया बायोमेट्रिक डाटा नहीं लेने का फैसला
इस फैसले के बारे में जानकारी देते हुए मिजोरम के मंत्री लालरुआत्किमा ने कहा, “म्यांमार शरणार्थियों का बायोमेट्रिक डाटा एकत्र करना एक भेदभाव होगा क्योंकि वे हमारे सगे भाई-बहन हैं।” मिजोरम के मंत्री ने कहा, “इसलिए, कैबिनेट ने म्यांमार शरणार्थियों के बायोमेट्रिक डाटा कलेक्ट करने की प्रक्रिया को आगे नहीं बढ़ाने का फैसला किया है।” मंत्री ने बताया कि ज़ोरमथांगा कैबिनेट ने म्यांमार शरणार्थियों से बायोमेट्रिक डाटा एकत्र करने की प्रक्रिया को आगे नहीं बढ़ाने का संकल्प लिया है।
मिजोरम में फिलहाल 35 हजार शरणार्थी
गौरतलब है कि गृह मंत्रालय (एमएचए) ने मिजोरम और मणिपुर की सरकारों को म्यांमार शरणार्थियों के बायोमेट्रिक डेटा संग्रह प्रक्रिया को 30 सितंबर तक पूरा करने का निर्देश दिया था। असम राइफल्स के आधिकारिक रिकॉर्ड के अनुसार, मिजोरम में वर्तमान में 35,126 म्यांमार शरणार्थी बसे हैं। उनमें से 15,589 लोग राहत शिविरों में रह रहे हैं, जबकि 19,458 लोग किराए के मकानों में या रिश्तेदारों के साथ रह रहे हैं। बता दें कि मिजोरम म्यांमार के साथ 500 किलोमीटर लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा साझा करता है, जिसका एक महत्वपूर्ण हिस्सा छिद्रपूर्ण है।