शिवसेना विधायकों की बगावत के बाद शुरू हुआ महाराष्ट्र का सियासी संग्राम बुधवार को सुप्रीम कोर्ट का फैसला आते ही समाप्त हो गया है। साढ़े 3 घंटे सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने फ्लोर टेस्ट कराने के राज्यपाल के निर्देश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। कोर्ट का फैसला आने के कुछ देर बाद उद्धव ठाकरे ने सोशल मीडिया पर लाइव आकर सीएम पद और विधान परिषद सदस्यता छोड़ने का ऐलान कर दिया।
बहुमत के लिए 144 विधायक चाहिए
उद्धव ठाकरे के इस्तीफे के बाद मुंबई के होटल में बीजेपी और निर्दलीय विधायकों के साथ मौजूद फडणवीस और प्रदेश भाजपा प्रमुख चंद्रकांत पाटिल ने एक-दूसरे को मिठाई खिलाई। अब बीजेपी फडणवीस के नेतृत्व में सबसे बड़ी पार्टी (106) होने के चलते सरकार बनाने का दावा पेश कर सकती है। बहुमत के लिए 144 विधायक चाहिए। बीजेपी को 156 विधायकों का समर्थन है। दरअसल साल 2019 में बीजेपी और शिवसेना ने साथ मिलकर चुनाव लड़ा था, लेकिन सीएम बनने को लेकर दोनों पार्टियों में मतभेद हो गया। 12 नवंबर को राष्ट्रपति शासन लगा, जो 23 को रातों-रात हटाया, फडणवीस ने NCP के अजित पवार संग मिलकर सरकार बनाई, लेकिन तीसरे दिन ही इस्तीफा हो गया। अब बीजेपी ने हिसाब बराबर किया।
महाराष्ट्र के हित में होगा फैसला
उद्धव ठाकरे के सीएम पद से इस्तीफे के बाद बीजेपी के खेमे में खुशी का माहौल है। देवेंद्र फड़णवीस के नेतृत्व में सरकार बनाने का रास्ता साफ हो गया है। हालांकि सरकार के गठन में अहम भूमिका एकनाथ शिंदे की होगी। उद्धव के इस्तीफे के बाद नई सरकार के गठन का फैसला एकनाथ शिंदे लेंगे। उद्धव ठाकरे के इस्तीफे पर शिवसेना के बागी नेता दीपक केसरकर ने कहा कि उनका इस्तीफा हमारे लिए कोई खुशी की बात नहीं है। वे हमारे नेता थे। केसरकर ने कहा कि अब हम अपने सभी विधायकों के साथ बैठक करके महाराष्ट्र के हित में जो फैसला होगा, वो लेंगे।