पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान द्वारा तालिबान को मान्यता दिलाने की कोशिशों का खुद उनके ही मुल्क में विरोध होने लगा है। सीनेट के पूर्व अध्यक्ष और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (PPP) के वरिष्ठ नेता रजा रब्बानी ने शुक्रवार को इमरान खान नेतृत्व वाली सरकार से सवाल किया कि जब अफगान तालिबान पाकिस्तान के साथ लगती सीमा को मान्यता देने के लिए तैयार नहीं है, तो ऐसे में उसकी मदद करने की क्या जल्दी है। अफगान रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता इनायतुल्ला ख्वारजमी ने बुधवार को कहा कि तालिबान बलों ने पाकिस्तानी सेना को पूर्वी प्रांत नंगरहार के पास सीमा पर ‘अवैध’ तारबंदी से रोक दिया।
पाकिस्तान सरकार ने अब तक नहीं जारी किया बयान
बता दें कि सीमा पर ‘अवैध’ तारबंदी को रोके जाने के मुद्दे पर अब तक पाकिस्तान सरकार की ओर से किसी ने औपचारिक रूप से कोई बयान जारी नहीं किया है। पूर्व में अमेरिका समर्थित शासन सहित अफगानिस्तान की सरकार का सीमा पर विवाद रहा है और यह ऐतिहासिक रूप से दोनों पड़ोसियों के बीच एक विवादास्पद मुद्दा बना हुआ है। सीमा को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर डूरंड रेखा के रूप में जाना जाता है। इसका नाम ब्रिटिश नौकरशाह मोर्टिमर डूरंड के नाम पर रखा गया, जिन्होंने 1893 में तत्कालीन अफगान सरकार के साथ परामर्श के बाद ब्रिटिश इंडिया की सीमा तय की थी।
‘सरकार किन शर्तों पर युद्ध विराम की बात कर रही है?’
सीनेट में रब्बानी ने मांग की कि विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी को इस घटना पर संसद को विश्वास में लेना चाहिए। रब्बानी ने कहा, ‘वे (तालिबान) सीमा को मान्यता देने को तैयार नहीं है, ऐसे में हमें आगे क्यों बढ़ना चाहिए।’ रब्बानी ने स्थानीय मीडिया में आई उन खबरों को लेकर भी आगाह किया कि ‘पाकिस्तान में आतंकवाद को बढ़ावा देने के मकसद से प्रतिबंधित तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) अफगानिस्तान में फिर से संगठित होने की कोशिश कर रहा है। रब्बानी ने कहा, ‘सरकार किन शर्तों पर प्रतिबंधित संगठन के साथ युद्ध विराम की बात कर रही है?’