पेगासस जासूसी मामला थमने का नाम नहीं ले रहा है. ऐसे में पाकिस्तान से भी नया बयान सामने आ गया है. पड़ोसी देश पाक ने भारत पर कथित तौर पर आरोप लगाया है कि प्रधानमंत्री इमरान खान की जासूसी की है. यह विवाद तब सामने आया जब फ्रांसीसी गैर-लाभकारी संस्था फॉरबिडन स्टोरीज और एमनेस्टी इंटरनेशनल ने 50,000 फोन नंबरों के लीक हुए डेटाबेस को एक्सेस किया, जिन्हें पेगासस द्वारा निशाना बनाया गया था . समाचार प्रकाशनों ने दावा किया कि न केवल खान बल्कि 9 अन्य प्रधान मंत्री, 3 राष्ट्रपति और एक राजा भी इस स्पाइवेयर का उपयोग करके निगरानी के “संभावित लक्ष्य” थे.
जासूस मामले की जांच कराने को कहा
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में भारत सरकार पर अपने नागरिकों के साथ-साथ विदेशियों की “संगठित जासूसी” करने का आरोप लगाया. एक बेतुके दावे में इमरान खान के नेतृत्व वाली सरकार ने जोर देकर कहा कि यह जम्मू-कश्मीर में “मानवाधिकारों का उल्लंघन” करने के लिए एक “चाल” थी. इसके अलावा इसने संयुक्त राष्ट्र के संबंधित निकायों से जासूसी मामले की जांच करने तथ्यों को सामने लाने और अपराधियों को जिम्मेदार ठहराने का आह्वान किया
केंद्र ने दावों को खारिज किया
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, पेगासस स्पाइवेयर ने 300 से अधिक भारतीय मोबाइल नंबरों को निशाना बनाया, जिनमें 40 पत्रकार,व्यवसायी एक संवैधानिक प्राधिकरण, तीन विपक्षी नेता और केंद्र सरकार में दो मौजूदा मंत्री शामिल थे. डेटाबेस में कथित तौर पर उन कार्यकर्ताओं की संख्या भी थी जो भीमा कोरेगांव मामले में आरोपी और कैद हैं. हालांकि एनएसओ समूह ने इन आरोपों को स्पष्ट रूप से खारिज कर दिया और सूत्रों की विश्वसनीयता पर संदेह जताया.
केंद्रीय आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने गुरुवार को राज्यसभा में इस मुद्दे पर बयान देते हुए कहा, “18 जुलाई 2021 को एक वेब पोर्टल द्वारा एक बेहद सनसनीखेज कहानी प्रकाशित की गई थी. इस कहानी के इर्द-गिर्द कई ओवर-द-टॉप आरोप लगाए गए हैं. माननीय सभापति महोदय, प्रेस रिपोर्ट संसद के मानसून सत्र से एक दिन पहले आई है. यह संयोग नहीं हो सकता, माननीय सभापति महोदय. पूर्व में व्हाट्सएप पर पेगासस के उपयोग के संबंध में इसी तरह के दावे किए गए थे. उन रिपोर्टों का कोई तथ्यात्मक आधार नहीं था. और सर्वोच्च न्यायालय सहित सभी पक्षों द्वारा स्पष्ट रूप से इनकार कर दिया गया था.