गुजरात के शिक्षा मंत्री जीतू वघानी ने रविवार को बताया कि राज्य में कोविड-19 के मामलों में लगातार गिरावट के मद्देनजर सरकार ने 22 नवंबर से पहली से पांचवीं कक्षा तक के विद्यार्थियों के लिए विद्यालय परिसर में कक्षाएं शुरू करने की अनुमति दे दी है। महामारी के दस्तक देने और उसके बाद लागू प्रतिबंधों के बाद से ऐसा पहली बार है, जब पहली से पांचवीं कक्षा के विद्यार्थियों के लिए विद्यालय परिसर में कक्षाएं खोली जाएंगी।
वघानी ने संवाददाताओं से कहा कि राज्य में दीपावली की छुट्टियां खत्म होने के बाद 22 नवंबर से पहली से पांचवीं कक्षा तक की कक्षाएं विद्यालय परिसर में आयोजित होंगी। बच्चों को विद्यालय में भेजने के लिए माता-पिता की अनुमति अनिवार्य है। उन्होंने कहा, ‘‘विद्यालय में आयोजित हो रही अन्य कक्षाओं की तरह ही इन कक्षाओं के संचालन के लिए भी मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) लागू की जाएगी।’’
उन्होंने कहा कि राज्य शिक्षा विभाग बिना किसी परेशानी के कक्षाओं को फिर से शुरू करने के लिए जरूरी व्यवस्थाएं करेगा और मानक संचालन प्रक्रिया का सख्ती से पालन किया जाएगा। गुजरात में छठी से आठवीं कक्षा तक के विद्यार्थियों के लिए 50 फीसदी क्षमता के साथ दो सितंबर से विद्यालय खोल दिए गए थे। वहीं, जुलाई की शुरुआत में राज्य सरकार ने 12वीं, कॉलेज और तकनीकी संस्थानों खोल दिए थे।
राज्य स्वास्थ्य विभाग ने बताया कि गुजरात में पिछले 24 घंटे में कोविड-19 के 36 नए मामले सामने आए हैं। इसके साथ ही कुल संक्रमितों की संख्या बढ़कर 8,27,184 हो गई। गुजरात में 323 मरीजों का उपचार चल रहा है।
202 दिन तक अस्पताल में भर्ती रहने के बाद एक कोरोना मरीज घर लौटी
गुजरात के दाहोद स्थित एक अस्पताल से 45 वर्षीय महिला को भर्ती होने के 202 दिनों बाद छुट्टी दी गई। महिला गत एक मई को कोरोना वायरस से संक्रमित पायी गई थी। यह जानकारी महिला के परिवार के सदस्यों ने दी। महिला के परिजन ने बताया कि गीता धर्मिक के पति दाहोद में रेलवे के कर्मचारी हैं।
उन्होंने बताया कि गीता महामारी की दूसरी लहर के दौरान भोपाल से लौटने पर वायरस से संक्रमित पायी गई थी। उन्होंने बताया कि उसे 202 दिनों तक अस्पताल में भर्ती रहना पड़ा और दाहोद रेलवे अस्पताल के डॉक्टरों ने उसके ठीक होने के बाद उसे छुट्टी देने का फैसला किया।
महिला के पति त्रिलोक धर्मिक ने कहा, ‘‘शुक्रवार को दाहोद रेलवे अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद परिवार के सदस्यों ने उसका घर पर खुशी से स्वागत किया। वह कुल 202 दिनों तक दाहोद और वडोदरा में अस्पताल में भर्ती रही, जिस दौरान उसे वेंटिलेटर और ऑक्सीजन पर रखा गया।’’
त्रिलोक रेलवे में इंजीनियर हैं। त्रिलोक धर्मिक ने कहा कि इस अवधि के दौरान उन्होंने नौ बार उनके (गीता के) ठीक होने की उम्मीद खो दी थी। उन्होंने कहा, ‘‘हम 23 अप्रैल को भोपाल गए थे। 25 अप्रैल को दाहोद लौटने के बाद, मेरी पत्नी में कोरोना वायरस के लक्षण दिखाई दिए थे और एक मई को वह जांच में संक्रमित पायी गई, रात को ही उन्हें दाहोद के रेलवे अस्पताल में भर्ती कराया पड़ा।’’