नई दिल्ली। भारत की अंतरिक्ष एजेंसी ISRO (Indian Space Research Organization) दुनिया की प्रमुख अंतरिक्ष एजेंसियों में से एक है। यह हर साल कई देशों के सैटेलाइट लॉन्च करती है और इसके लिए पैसे लेती है। लेकिन जब अधिक भारी सैटेलाइट को जियोस्टेशनरी ऑर्बिट में पहुंचाना हो तो भारत को दूसरे देशों से मदद लेनी होती है। भारत पहली बार अपने सैटेलाइट को अमेरिकी अरबपति कारोबारी एलोन मस्क की कंपनी SpaceX के रॉकेट से लॉन्च करने जा रहा है।
इसरो ने अपने संचार उपग्रह GSAT-20 को लॉन्च करने के लिए SpaceX से करार किया है। इस उपग्रह को SpaceX के फाल्कन-9 (Falcon-9) रॉकेट से लॉन्च किया जाएगा। भारी वजन अंतरिक्ष में पहुंचाने की क्षमता वाले इस रॉकेट को अमेरिका के फ्लोरिडा से लॉन्च किया जाएगा।
भारत के पास नहीं है 4 टन भारी उपग्रह को भूस्थैतिक कक्षा में पहुंचाने की क्षमता
इसरो के चेयरमैन एस सोमनाथ ने कहा है कि हम जिस वक्त अपने उपग्रह को भेजना चाहते हैं उस समय कोई और रॉकेट उपलब्ध नहीं था। इसके चलते SpaceX के पास जाना पड़ा। इसरो के कमर्शियल आर्म न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड ने स्पेसएक्स के साथ उपग्रह भेजने के लिए कॉन्ट्रैक्ट किया है। इसके अनुसार 2024 की दूसरी तिमाही में सैटेलाइट को लॉन्च किया जा सकता है।
भारत अब तक भारी उपग्रहों को लॉन्च करने के लिए फ्रांस के नेतृत्व वाले एरियनस्पेस कंसोर्टियम पर निर्भर था। भारत के पास वर्तमान में अपने रॉकेट से 4 टन से अधिक भारी उपग्रह को भूस्थैतिक कक्षा में पहुंचाने की क्षमता नहीं है।
क्यों खास है GSAT-20 उपग्रह?
इसरो इस साल अपने नए संचार उपग्रह GSAT-20 को लॉन्च करेगा। यह नई पीढ़ी का संचार उपग्रह है। जीसैट-20 अंडमान और निकोबार, जम्मू और कश्मीर और लक्षद्वीप द्वीपों सहित पैन-इंडिया कवरेज वाले 32 बीम के साथ Ka-Ka बैंड हाई थ्रू पुट (HTS) क्षमता प्रदान करता है। GSAT-20 उपग्रह का वजन 4700 किलोग्राम है। यह लगभग 48Gpbs की HTS क्षमता प्रदान करता है। उपग्रह को विशेष रूप से दूर-दराज के क्षेत्रों में बेहतर संचार सुविधा देने के लिए डिजाइन किया गया है।