National Herald Corruption Case: नेशनल हेराल्ड भ्रष्टाचार मामले को लेकर बड़ी खबर आ रही है। सूत्रों के मुताबिक, प्रवर्तन निदेशालय (ED) कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे से नेशनल हेराल्ड भ्रष्टाचार मामले में पूछताछ कर रही है। उन्हें आज ED के समक्ष पेश होने के लिए तलब किया गया था। जानकारी के अनुसार प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने ‘नेशनल हेराल्ड’ मामले से जुड़ी मनी लॉन्ड्रिंग मामले की जांच के सिलसिले में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे (79) से पूछताछ कर रही है। उन्होंने बताया कि एजेंसी जांच संबंधी कुछ पहलुओं को समझना चाहती है। ईडी अधिकारियों ने बताया कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे का बयान धनशोधन रोकथाम कानून (पीएमएलए) के तहत दर्ज किया जाएगा।
नेशनल हेराल्ड केस की जांच सुब्रमण्यन स्वामी की शिकायत पर शुरू की गई थी
बता दें कि, नेशनल हेराल्ड मामले में ईडी का शिकंजा लगातार बढ़ता जा रहा है। नेशनल हेराल्ड केस की जांच भाजपा नेता सुब्रमण्यन स्वामी की शिकायत पर शुरू की गई थी। उन्होंने 2012 में अदालत में अर्जी दायर कर कांग्रेस नेताओं पर आरोप लगाया था कि उन्होंने यंग इंडिया लिमिटेड कंपनी के तहत एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड का अधिग्रहण कर लिया था। नेशनल हेराल्ड मामले में बड़े घोटाले का खुलासा वरिष्ठ भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने साल 2012 में करते हुए आरोप लगाया था कि कांग्रेस पार्टी ने अपने पार्टी के पैसे से सोनिया गांधी और राहुल गांधी की कंपनी यंग इंडिया को 90 करोड़ रुपए उधार दिए और इसके बाद उसी पैसे राहुल सोनिया की कंपनी यंग इंडिया ने नेशनल हेराल्ड अखबार निकालने वाली कंपनी एसोसिएट जनरल को खरीद लिया। ऐसे में कंपनी की करीब 5 हजार करोड़ की संपत्ति गांधी परिवार के पास चली गई। इस मामले में सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका पर न्यायमूर्ति सुरेश कैत ने सोनिया और राहुल गांधी, कांग्रेस महासचिव दिवंगत ऑस्कर फर्नांडिस, सुमन दुबे, सैम पित्रोदा और यंग इंडिया से 12 अप्रैल तक स्वामी की याचिका पर जवाब देने को कहा है।
जानिए क्या है नेशनल हेराल्ड केस
गौरतलब है कि, नेशनल हेराल्ड अखबार का प्रकाशन 1938 में शुरू किया गया था। पंडित जवाहरलाल नेहरू ने इस अखबार का इस्तेमाल आज़ादी की लड़ाई में किया। नेहरू ने 1937 में एसोसिएटेड जर्नल बनाया था, जिसके तहत 3 अखबारों का प्रकाशन किया जा रहा था। हिंदी में नवजीवन, उर्दू में कौमी आवाज़ और अंग्रेजी में नेशनल हेराल्ड। लेकिन 2008 तक एसोसिएटेड जर्नल ने फैसला किया कि अब समाचार पत्रों का प्रकाशन नहीं किया जाएगा। इसके बाद यह भी जानकारी सामने आई कि एसोसिएटेड जर्नल पर 90 करोड़ रुपए का कर्ज भी चढ़ चुका है।