प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज जम्मू कश्मीर के नौशेरा सेक्टर में जवानों के साथ दिवाली मना रहे हैं। उन्होंने देश के अमर जवानों को श्रद्धांजलि दी और सैल्यूट किया। नौशेरा पहुंचते ही प्रधानमंत्री ने हमारी सरहद की हिफाजत में तैनात रणबांकुरों को मिठाई खिलाई, उनसे बातचीत की और संबोधित किया। पीएम मोदी ने जवानों के साथ भारत माता की जय के नारे भी लगाए और देश से एक दीया देश के वीर जवानों के शौर्य के नाम जलाने की अपील की।
पीएम मोदी के संबोधन की 10 बड़ी बातें-
- मैंने हर दिवाली सीमा पर तैनात आप मेरे परिवारजनों के बीच बिताई हैं। आज मैं फिर आपके बीच आया हूं। आपसे नई ऊर्जा, नई उमंग और नया विश्वास लेकर जाऊंगा। लेकिन मैं अकेला नहीं आया हूं, मैं अपने साथ 130 करोड़ देशवाशियों का आशीर्वाद लेकर आया हूं। आज शाम को दिवाली पर एक दीप आपकी वीरता शौर्य पराक्रम को, आपकी तपस्या और त्याग के नाम पर जलाया जाएगा। जो लोग देश की रक्षा में जुटे हुए हैं, ऐसे आप सबके लिए हिंदुस्तान का हर नागरिक दिए की उस जोत के साथ आपको अनेक अनेक शुभकामनाएं भी देता रहेगा। आज तो मुझे पक्का विश्वास है कि आप घर पर बात करेंगे और हो सका तो फोटो भी भेजेंगे।
- आपके चेहरे के उन मजबूत भावों को मैं देख रहा हूं, आप संकल्पों से भरे हुए हैं और यही आपका संकल्प है। पराक्रम की पराकाष्ठा करने की भवनाएं हैं, चाहे हिमालय हो, रेगिस्तान हो, बर्फीली चोटियां हो या गहरा पानी हो, कहीं पर भी आप लोग मां भारती का एक जीता जागता सुरक्षा कवच है। आपके सीने में वो जज्बा जो 130 करोड़ देशवासियों को भरोसा देता है और वो चैन की नींद सो सकते हैं। आपके सामर्थ्य से देश में शांति और सुरक्षा तथा एक निश्चितता होती है, आपके पराक्रम की वजह से हमारे पर्वों में प्रकाश फैलता है, खुशियां भर जाती है और उनमें चार चांद लग जाते हैं।
- देश के अन्य हिस्सों में बड़ी संख्या में लोग आज दिवाली का जब दूसरा दिन होता है तो नववर्ष की भी शुरुआत करते हैं और हमारे यहां तो हिसाब किताब भी दिवाली पर पूरा होता है और दिवाली के दूसरे गुजरात में नया साल शुरू होता है, मैं आज नौशेरा की इस वीर भूमि से गुजरात के लोगों को भी अनेक अनेक मंगलकामनाएं देता हूं। जब मैं नौशेरा की पवित्र भूमि पर उतरा, यहां की मिट्टी का स्पर्श किया तो एक अलग ही भावना थी और अलग ही रोमांच से मेरा मन भर गया। यहां का इतिहास भारतीय सेना की वीरता का जयघोष करता है, हर चोटी से वह जयघोष सुनाई देता है। यहां का वर्तमान आप जैसे वीर जवानों की वीरता का जीता जागता उदाहरण है, वीरता का जिंदा सबूत मेरे सामने मौजूद है।
- नौशेरा ने हर युद्ध का षडयंत्र का मुंहतोड़ जवाब देकर कश्मीर और श्रीनगर के प्रहरी का काम किया है। आजादी के तुरंत बाद ही दुश्मनों ने इसपर नजर गढ़ाकर रखी हुई थी, नौशेरा पर हमला हुआ, दुश्मनों ने ऊंचाई पर बैठकर इसपर कब्जा करने की कोशिश की, लेकिन नौशेरा के जांबाजों के शौर्य के सामने सारी साजिश धरी की धरी रह गई। भारतीय सेना की ताकत क्या होती है, इसका अहसास दुश्मन को शुरुआती दिनों में ही लग गया था। मैं नमन करता हूं नौशेरा के शेर ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान को, नायक जद्दुनाथ सिंह जी को, जिन्होंने देश की रक्षा के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया। मैं प्रणाम करता हूं लेफ्टिनेंट आर आर राणे को जिन्होंने भारतीय सेना की जीत का रास्ता प्रशस्त किया।
- सर्जिकल स्ट्राइक में यहां की ब्रिगेड ने जो भूमिका निभाई वह हर देशवासी को गौरव से भर देता है, वह दिन तो मैं हमेशा याद रखूंगा। मैंने तय किया था कि सूर्यास्त से पहले कि सब लोग लौटकर आ जाने चाहिए, हर पल मैं फोन की घंटी सुनने के लिए बैठा हुआ था। कोई भी नुकसान के बिना हमारे जवान सुरक्षित लौटकर आ गए। सर्जिकल स्ट्राइक के बाद यहां अशांति फैलाने के अनगिनत प्रयास हुए आज भी होते हैं, लेकिन हर बार आतंकवाद को मुंहतोड़ जवाब मिलता है।
- ऐसा माना जाता है कि पांडवों ने भी अज्ञात वास के दौरान अपना कुछ समय इसी क्षेत्र में व्यतीत किया, आज आपके बीच आकर मैं अपने आप को यहां की ऊर्जा से जुड़ा हुआ महसूस करता हूं। इस समय देश अपनी आजादी के 75 वर्ष का पर्व मना रहा है। असंख्य बलिदान देकर हमने यह आजादी प्राप्त की है और इसकी रक्षा का दायित्व हम सभी हिंदुस्तानियों के सिर पर है। आजादी के अमृतकाल में हमारे सामने नए लक्ष्य है और नई चुनौतियां भी हैं, आज का भारत अपनी शक्तियों को लेकर भी सजग है और अपने संशाधनों को लेकर भी।
- पहले हमारे देश में सेना से जुड़े संशाधनों के लिए यह मान लिया गया था कि जो कुछ भी मिलेगा वह विदेशों से ही मिलेगा। टेक्नोलॉजी के मामले में झुकना पड़ता था, ज्यादा पैसे खर्च होते थे और नए हथियार खरीदने की प्रक्रिया सालों साल चलती थी। एक अफसर फाइल शुरू करता था और रिटायरमेंट तक भी चीज नहीं पहुंचती थी, जरूरत के समय हथियार फिर आपाधापी में खरीदे जाते थे, यहां तक की स्पेयर पार्ट्स के लिए भी हम दूसरे देशों पर निर्भर रहते थे।
- डिफेंस सेक्टर में आत्मनिर्भरता का संकल्प उन पुरानी स्थितियों को बदलने का एक मार्ग है, देश के रक्षा खर्च के लिए जो बजट होता है अब उसका करीब 65 प्रतिशत देश के भीतर ही खरीदी के लिए खर्च हो रहा है, हमारे देश ने यह करके दिखाया है, एक अभूतपूर्व कदम उठाते हुए अब भारत ने यह भी तय किया है कि 200 से ज्यादा हथियार और उपकरण अब देश के भीतर ही खरीदे जाएंगे। अगले कुछ महीनों में इसमें और सामान जुड़ने वाले हैं, देश को आत्मनिर्भर बनाने वाली यह पॉजिटिव लिस्ट और लंबी हो जाएगी, देश का डिफेंस सेक्टर मजबूत होगा, नए हथियारों के निर्माण लिए निवेश बढ़ेगा।
- आज हमारे देश के भीतर अर्जुन टैंक बन रहे हैं, तेजस जैसे लाइट कॉम्बैक्ट एयर क्राफ्ट बन रहे हैं। विजयदशमी के दिन 7 नई डिफेंस कंपनियों को राष्ट्र के नाम समर्पित किया गया है। किसी समय हाथी घोड़े की लड़ाई होती थी लेकिन आज ऐसा नहीं होता। पहले युद्ध के रूप बदलने में शायद दशकों या शताब्दियां लगती थी लेकिन आज तो सुबह लड़ाई का अलग तरीका होगा और शाम को अलग। इतनी तेजी से टेक्नोलॉजी अपनी जगह बना रही है, आज की युद्ध कला सिर्फ ऑपरेशन के तौर तरीकों तक ही सीमित नहीं है। आज अलग-अलग पहलुओं में बेहतर तालमेल टेक्नोलॉजी और हाईब्रिड प्रैक्टिस का उपयोग बहुत बड़ा फर्क डाल सकता है इसलिए लगातार डिफेंस सेक्टर में रिफॉर्म हुए हैं।
- अब बेटियों के लिए राष्ट्रीय रक्षा अकादमी, राष्ट्रीय मिलिट्री स्कूल और राष्ट्रीय इंडियन मिलिट्री कॉलेज जैसे संस्थानों के दरवाजे खोले जा रहे हैं। इसी वर्ष 15 अगस्त को लालकिले से यह भी घोषणा हुई थी कि देशभर के सभी सैन्य स्कूलों में बेटियों को भी पढ़ाई का अवसर मिलेगा। इसपर भी तेजी से काम शुरू हो गया है।