जम्मू कश्मीर में राज्य विधानसभा चुनाव की आस जग गई है। दरअसल, जम्मू कश्मीर को लेकर परिसीमन आयोग का काम लगभग पूरा हो गया है। इस संबंध में आज गुरुवार को 11 बजे परिसीमन आयोग की बैठक होगी। जम्मू कश्मीर में विधानसभा सीटों का स्वरूप क्या होगा, इसको लेकर इस बैठक में तस्वीर साफ हो सकती है। आज चुनाव आयोग को परिसीमन आयोग अपनी रिपोर्ट सौंप सकता है। इसके पीछे वजह ये है कि 6 मई को परिसीमन आयोग का कार्यकाल खत्म हो रहा है और अभी तक extension नहीं मिला है। ऐसा माना जा रहा है कि जम्मू में 43 सीटें होंगी, जबकि कश्मीर घाटी से 47 सीटें निर्धारित की गई हैं। इस तरह जम्मू-कश्मीर विधानसभा में कुल 90 सीटें होंगी। कुल सीटों में अनुसूचित जनजाति के लिए 9 और अनुसूचित जाति के लिए 7 सीट का प्रावधान है।
भारी बदलाव देखने को मिल सकते हें परिसीमन में
माना जा रहा है कि परिसीमन में भारी बदलाव देखने को मिल सकते हैं। आज इस मामले में आयोग अपनी अंतिम रिपोर्ट सौंप देगा। भारत सरकार ने जम्मू-कश्मीर राज्य से अनुच्छेद 370 की समाप्ति और जम्मू-कश्मीर राज्य पुनर्गठन के बाद परिसीमन आयोग को गठित किया था। जम्मू कश्मीर में विधानसभा और लोकसभा सीटों के परिसीमन का काम जम्मू कश्मीर परिसीमन आयोग ने लगभग पूरा कर लिया है। आज जम्मू कश्मीर विधानसभा सीटों के परिसीमन से जुड़ी अधिसूचना परिसीमन आयोग की तरफ से जारी कर दी जाएगी।
90 सीटों के लिए परिसीमन
गौरतलब है कि मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा जो की परिसीमन आयोग के सदस्य भी हैं, उन्होंने कुछ ही दिन पहले कहा था कि 6 मई, 2022 तक जम्मू कश्मीर में लोकसभा और विधानसभा की सीटों के परिसीमन का काम पूरा कर लिया जाएगा। जम्मू कश्मीर परिसीमन का काम मार्च 2020 से चालू है।
कश्मीरी पंडितों का भी प्रतिनिधित्व
माना जा रहा है कि नए विधानसभा में कश्मीरी पंडितों के लिए आरक्षित सीटें होंगी जिनपर कश्मीरी पंडितों के प्रतिनिधियों को मनोनीत किया जाएगा। इसके अलावा पाकिस्तान के अनाधिकृत कब्जे वाले कश्मीर से विस्थापित लोगों को भी विधानसभा में प्रतिनिधित्व दिया जाएगा। परिसीमन के तहत कई मौजूदा निर्वाचन क्षेत्रों का पुनर्निर्धारण किया गया है। आयोग इससे पहले अपने मसौदे को जम्मू-कश्मीर के पांचों लोकसभा सांसदों को सौंप चुका है। इनमें तीन नेशनल कांफ्रेंस के और दो बीजेपी के सांसद शामिल हैं। हालांकि नेशनल कांफ्रेंस ने इस मसौदे को खारिज कर दिया था। पीटीआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक पहली बार जम्मू-कश्मीर में जनसंख्या के आधार अनुसूचित जनजातियों के लिए 9 सीटें आरक्षित की गई हैं।