असम और मिजोरम के बीच चल रहे सीमा विवाद के बीच आज असम के सांसद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। प्रधानमंत्री की सांसदों से इस मुलाकात को दोनों राज्यों के बीच शांति स्थापित करने के प्रयास के तौर पर देखा जा रहा है। एक दिन पहले रविवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ टेलीफोन पर बात की थी।
केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू ने बताया की आज पूर्वोत्तर राज्यों के भाजपा सांसदों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भेंट की। मिजोरम और असम में सीमा विवाद को लेकर कुछ दुखद घटनाएं हुई हैं, जो परिस्थिति पैदा हुई है उसे लेकर हमने प्रधानमंत्री को एक ज्ञापन दिया है।
केंद्र द्वारा सीमा पर झड़प की सीबीआई जांच से इनकार करने के साथ दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने भी इस मामले में एक-दूसरे के खिलाफ प्राथमिकी रद्द करने को लेकर नरमी बरती है। असम-मिजोरम सीमा पर हिंसा के बीच पिछले सोमवार को असम में 6 पुलिसकर्मियों और एक नागरिक की मौत हो गई।
इससे पहले रविवार को असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने मिजोरम के एकमात्र राज्यसभा सांसद के वनलालवेना के खिलाफ कथित धमकी देने वाले बयान के लिए प्राथमिकी रद्द कर दी थी। बाद में उन्होंने कहा कि सीमा विवाद को सौहार्दपूर्ण ढंग से निपटाने के लिए मिजोरम के सीएम जोरमथांगा को कहा है। उन्होंने कहा कि प्राथमिकी रद्द की जा रही है, लेकिन अन्य आरोपी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ मामले को आगे बढ़ाए जाएंगे। बुधवार को वनलालवेना ने असम पर उकसावे का आरोप लगाते हुए कहा था, “वे भाग्यशाली हैं कि हमने उन सभी को नहीं मारा। अगर वे फिर आए, तो हम उन सभी को मार देंगे।” सरमा के इस कदम का समर्थन करते हुए मिजोरम ने भी सीमा पर संघर्ष को लेकर सरमा के खिलाफ प्राथमिकी रद्द कर दी है।
26 जुलाई को हुई थी झड़प
असम और मिजोरम के बीच बीते हफ्ते 26 जुलाई को तब तनाव बढ़ गया था, जब मिजोरम के कोलासिब जिले के वायरेंग्टे कस्बे में दोनों राज्यों के लोग और पुलिस बल आमने सामने आ घई। इस हिंसक झड़प में असम के छह पुलिसकर्मियों सहित कम से कम सात लोगों की मौत हो गई थी। वहीं 50 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। जिसके बाद से दोनों राज्यों के बीच भारी तनाव है। केंद्र सरकार ने केंद्रीय अर्धसैनिक बल की पांच कंपनियां इस इलाके में तैनात की हुई है। बता दें कि असम के जिले- कछार, करीमगंज और हैलाकांडी, मिजोरम के तीन जिलों- आइजोल, कोलासिब और मामित के साथ 164 तकरीबन किलोमीटर लंबी सीमा साझा करते हैं। दोनों राज्यों के बीच सीमा विवाद पुराना है लेकिन हाल के सालों में इस स्तर हिंसा पहली बार देखने को मिली है। दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने भी इसके बाद काफी सख्त भाषा का इस्तेमाल किया था।
असम ने दावा किया है कि मिजोरम ने रेंगती बस्ती की ओर एक सड़क का निर्माण शुरू करके मौजूदा यथास्थिति का उल्लंघन किया है और इस प्रकार लैलापुर क्षेत्र में इनर लाइन फॉरेस्ट रिजर्व को “नष्ट” करने के अलावा उसी क्षेत्र में एक सशस्त्र शिविर का निर्माण किया है। इसने दावा किया कि मिजोरम पुलिस ने असम के अधिकारियों और नागरिकों पर एलएमजी सहित स्वचालित हथियारों से गोलियां चलाईं, जिसके परिणामस्वरूप मौतें हुईं। हालांकि, मिजोरम ने दावा किया कि उसके पुलिसकर्मियों ने असम के अपने समकक्षों पर तभी फायरिंग की जब बाद में उनपर आंसू गैस के ग्रेनेड दागे गए।
गृह मंत्री अमित शाह के हस्तक्षेप के बाद एक दूसरे पर कई तरह के आरोप लगा रहे। असम और मिजोरम के मुख्यमंत्रियों के रुख में भी अब बदलाव आया है। दोनों राज्यों के पुलिसकर्मी अब विवादित स्थान से लौट आए हैं। एमएचए ने जहां विवादित स्थल पर सीआरपीएफ की तैनाती का आदेश दिया है, वहीं असम के मंत्री अशोक सिंघल ने कहा कि मिजोरम अपने पद से पीछे नहीं हटे हैं। इसके अलावा मिजोरम ने सीएम हिमंत बिस्वा सरमा और 200 अज्ञात असम पुलिसकर्मियों के खिलाफ एक प्राथमिकी दर्ज की है।