Anti Paper leak law: केंद्र सरकार द्वारा पास कराई गई एंटी-पेपर लीक कानून को सार्वजनिक कर दिया गया है। सोमवार को कानून के सारे डिटेल्स जारी कर दिए गए। नए कानून में राष्ट्रीय भर्ती एजेंसी को कंप्यूटर आधारित परीक्षाओं के लिए मानदंड, मानक और रुल्स एंड रेगुलेशन्स बताए गए हैं। सार्वजनिक परीक्षा अधिनियम 2024 के लागू होने के बाद नियमों को सार्वजनिक किया गया है। यह एक्ट, विभिन्न सार्वजनिक निकायों द्वारा आयोजित भर्ती परीक्षाओं में धांधली रोकने के लिए अनुचित साधनों के प्रयोग के खिलाफ पहला राष्ट्रीय कानून है।
एंटी-पेपर लीक कानून के नियम…
एंटी पेपर लीक कानून के नियमों को 23 जून को जारी किया गया और 24 जून को सार्वजनिक किया गया। सार्वजनिक किए गए सार्वजनिक परीक्षा नियम 2024 में सार्वजनिक परीक्षा प्राधिकरण द्वारा अन्य सरकारी एजेंसियों की सेवाओं की नियुक्ति, मानदंड, मानक और दिशा-निर्देश तैयार करना और अनुचित साधनों या अपराधों की घटनाओं की रिपोर्टिंग के प्रावधान हैं।
एंटी-पेपर लीक लॉ के अनुसार, केंद्र सरकार की ओर से राष्ट्रीय भर्ती एजेंसी स्टेकहोल्डर्स के परामर्श से परीक्षा के कंप्यूटर आधारित टेस्टिंग मोड के लिए मानदंड, मानक और दिशा-निर्देश तैयार करेगी, जिसे केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित किया जाएगा। इसके तहत, सार्वजनिक परीक्षा केंद्रों के पंजीकरण के लिए मानक संचालन प्रक्रिया, कंप्यूटर आधारित परीक्षा केंद्रों के भीतर स्थान की आवश्यकता, बैठने की व्यवस्था का लेआउट, कंप्यूटर नोड्स लेआउट, सर्वर और नेटवर्क इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए नियम, कंप्यूटर आधारित परीक्षा के संचालन के लिए इलेक्ट्रॉनिक प्लेटफॉर्म के लिए नियम शामिल है।
दिशानिर्देशों में उन तैयारियों को शामिल किया गया है जो परीक्षा के लिए मानक तय करने के लिए किया जाता है। सार्वजनिक परीक्षा केंद्रों की परीक्षा की तैयारी के लिए पूर्व-ऑडिट, कैंडिडेट्स की जांच, बायोमेट्रिक रजिस्ट्रेशन, सिक्योरिटी और स्क्रीनिंग; सीट अलॉटमेंट; पेपर सेटिंग और लोड करना; परीक्षा में मॉनिटरिंग के अलावा परीक्षा के बाद की गतिविधियां भी शामिल है। NRA को सरकारी नौकरी के इच्छुक उम्मीदवारों की स्क्रीनिंग के लिए ऑनलाइन परीक्षा आयोजित करने का अधिकार है।
फरवरी में पास हुआ था कानून
एंटी पेपर लीक लॉ यानी सार्वजनिक परीक्षा विधेयक 2024 को 9 फरवरी को राज्यसभा में पारित हुआ था। इसके पहले 6 फरवरी को लोकसभा ने पारित किया था। दोनों सदनों से परीक्षा कानून पास होने के बाद उसे राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के पास मंजूरी के लिए भेजा गया था। राष्ट्रपति मुर्मू ने 12 फरवरी को विधेयक को मंजूरी दी। इसके बाद यह कानून बन गया।
कड़ी सजा का प्रावधान
इस कानून को बनाने के पीछे यह उद्देश्य था कि संघ लोक सेवा आयोग, कर्मचारी चयन आयोग, रेलवे, बैंकिंग भर्ती परीक्षाओं और एनटीए सहित अन्य द्वारा आयोजित सार्वजनिक परीक्षाओं में अनुचित साधनों को रोकना है। परीक्षा की शुचिता भंग करने पर कड़ी सजा का भी प्रावधान किया गया। इसमें धोखाधड़ी को रोकने के लिए न्यूनतम तीन से पांच साल की कैद तय है तो धोखाधड़ी के संगठित अपराधों में शामिल लोगों को पांच से 10 साल की कैद और न्यूनतम एक करोड़ रुपये का जुर्माना होगा।