कनाडा के ओटावा से वापस लगाई गई मां अन्नपूर्णा की प्रतिमा को उत्तर प्रदेश में वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर में रखा जाएगा। यह प्रतिमा 11 नवंबर को उत्तर प्रदेश सरकार को सौंपी जाएगी, जहां से इस प्रतिमा को अलीगढ़, कन्नौज, अयोध्या के रास्ते 15 नवंबर को वाराणसी लाया जाएगा।
यूपी की राजधानी लखनऊ में हुए एक कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि 100 साल पहले काशी से मां अन्नपूर्णा की मूर्ति चोरी हुई थी। यहां से यह मूर्ति अलग-अलग हाथों में पहुंचते-पहुंचते कनाडा के विश्वविद्यालय में पहुंची थी। अब यह मूर्ति उत्तर प्रदेश को 11 नवंबर को दिल्ली में प्राप्त होगी।
योगी आदित्यनाथ ने कहा कि यूपी सरकार 11 नवम्बर को यह मूर्ति दिल्ली में प्राप्त करेगी। 11 नवम्बर को गोपाष्टमी के दिन मूर्ति हमें मिलेगी। उसके बाद इस प्रतिमा को उत्तर प्रदेश लाया जाएगा। उन्होंने बताया कि दिल्ली से चलकर कासगंज से सोरों में विश्राम होगा। 13 नवंबर को प्रतिमा कानपुर से उन्नाव, लखनऊ होते हुए अयोध्या आएगी। 14 नवंबर को प्रतिमा काशी विश्वनाथ मंदिर पहुंचेगी। उन्होंने बताया कि प्रतिमा को दिल्ली में मंत्री सुरेश राणा प्राप्त करेंगे। सीएम योगी ने कहा कि बाकी जो चीजें विदेश में है उनको लाने का प्रयास हम कर रहे है।
इस दौरान केंद्रीय पर्यटन मंत्री जी किशन रेड्डी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों से हमें मूर्ति प्राप्त करने में सहयोग मिला है। 15 अक्टूबर को अन्नपूर्णा प्रतिमा दिल्ली संस्कृतिक मंत्रालय में पहुची है। यूपी के वाराणसी से यह मूर्ति ले जाई गई थी यूपी में जिस स्थान से मूर्ति गई थी, वहीं हम इस प्रतिमा को पहुचाएंगे। उन्होंने बताया कि अन्नपूर्णा देवी समेत अभी तक 55 मूर्ति और पेंटिंग वापस लाई गई हैं। उन्होंने बताया कि कई और मूर्तियां वापस लाने के लिए हमारी कई देशों से बातचीत चल रही है।
2014 से अबतक 42 मूर्तियां लाई गईं वापस
संस्कृति मंत्रालय ने बताया कि 1976 से 55 मूर्तियों को भारत वापस लाया गया है। इनमें से 42 मूर्तियों को 2014 के बाद देश वापस लाया गया है और अन्नपूर्णा की मूर्ति इसमें नई है। मंत्रालय ने बताया कि अन्नपूर्णा की मूर्ति को 11 नवंबर को दिल्ली से अलीगढ़ ले जाया जाएगा, वहां से मूर्ति को 12 नवंबर को कन्नौज ले जाया जाएगा और यह 14 नवंबर को अयोध्या पहुंचेगी। उसने कहा कि यह मूर्ति 15 नवंबर को वाराणसी पहुंचेगी, जहां उचित अनुष्ठान के बाद मूर्ति को काशी विश्वनाथ मंदिर में रखा जाएगा।