काबुल एयरपोर्ट (Kabul Airport) पर पिछले महीने हुए आतंकी हमले में आम नागरिकों के साथ-साथ एक दर्जन से ज्यादा अमेरिकी (Taliban Attack) सैनिक भी मारे गए थे। जिसका बदला लेने के लिए अमेरिका ने आतंकी ठिकानों पर ड्रोन (USA Drone Attack) हमला करवाया था। बता दें, इस हमले में कई लोग मारे गए। इस संबंध में सेंट्रल इंटेलिजेंस एजेंसी (Central Intelligence Agency) का एक बयान सामने आया है। सीआईए (CIA) के अनुसार, उसने चेतावनी जारी की थी कि इन ठिकानों पर संभावित नागरिक हताहत हो सकते हैं, जिनमें बच्चे भी शामिल हैं। दरअसल जिस कार को हमले के लिए टारगेट किया गया था वहां कई बच्चे भी मौजूद थे।
अमेरिका द्वारा पिछले महीने काबुल में एक हेलफायर मिसाइल लॉन्च किया था। यह हमला आतंकवादी संगठन से बदला लेने के लिए किया गया था। रिपोर्ट से मिली जानकारी के अनुसार, अमेरिकी अधिकारियों को सीआईए ने चेतावनी देने में जरा सी देर कर दी थी। जब तक सीआईए ने अमेरिकी अधिकारियों को सूचित किया तब तक मिसाइल छोड़ा जा चुका था। मिसाइल के प्रभावी होने और अधिकारियों तक टारगेट स्थल पर नागरिकों के होने की सूचना मिलने में बस कुछ सेकेंड का अंतर था। आंकड़ो के हिसाब से इस हमले में सात बच्चों सहित दस लोगों को की जान चली गई जबकि इस हमले में किसी भी आतंकवादी के हताहत की सूचना नहीं मिली।
दो संस्थानों के बीच निर्णय लेने में अंतर के कारण अफ़ग़ानिस्तान में नागरिकों को अपने जान से हात धोना पड़ा। हालांकि न्यूज नेटवर्क के विश्लेषकों का कहना है कि यह “गलतियां” जमीन पर अमेरिकी सैनिकों की उपस्थिति के बिना और भी बदतर हो जाएंगी। यदि अमेरिकी सैनिक मौजूद होते तो आईएस-के (ISIS-K) या अल कायदा के टारगेट पर सफल हमला कर सकते थे।
बता दें, अमेरिकी सेना ने शुक्रवार को स्वीकार किया कि 29 अगस्त को काबुल में ड्रोन हमला एक “दुखद गलती” थी, जिसमें सात बच्चों सहित सभी 10 नागरिक मारे गए थे, और उनमें से किसी का भी आतंकवादी संगठन आईएस-के (ISIS-K) से कोई संबंध नहीं था। यह पेंटागन के काबुल में हुआ ड्रोन हमला एक सफल ऑपरेशन के रूप में देखा गया था, जबकि वास्तविकता इससे बिल्कुल अलग है।
कुछ पूर्व खुफिया अधिकारियों का दावा था कि सीआईए ड्रोन हमले सैन्य लोगों की तुलना में नागरिकों को बहुत कम मारते हैं, लेकिन एजेंसी के आंकड़े सार्वजनिक नहीं हैं। हालांकि बाहरी समूह जो ड्रोन हमले के नुकसान को ट्रैक करते हैं, उनके रिपोर्ट के अनुसार अमेरिकी सेना नियमित रूप से वास्तविक मौत के आंकड़ों को कम करती है, इसलिए सटीक तुलना करना मुश्किल है।