भारत से दूर जाते ही मालदीव (Maldives) पर मुसीबतों के बादल मंडराने लगे हैं। भारतीयों द्वारा मालदीव का बायकॉट करने से वहां की टूरिज्म इंडस्ट्री को बड़ा नुकसान हो रहा है। मालदीव के राष्ट्रपति ने मंगलवार को कहा था कि उनका देश कर्ज में डूबा हुआ है। इनकम उतनी नहीं है। इसलिए कोई नई विकास परियोजना शुरू करने में असमर्थ हैं। अब बुधवार को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने चेतावनी दी है कि मालदीव “कर्ज संकट के उच्च जोखिम” में है। आईएमएफ ने कहा, ‘मालदीव पर कर्ज संकट में फंसने का हाई रिस्क है, क्योंकि राष्ट्रपति मोहम्मद मोइज्जू के शासन में चीन (China) से भारी उधार ली जा रही है और भारत से दूरी बनाई जा रही है।
कर्ज के जाल में फंस सकता है मालदीव
जब से पिछले साल चीन समर्थक मोइज्जू ने सत्ता संभाली है, चीन ने मालदीव को और अधिक धन देने का वादा किया है। भारत समर्थक राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह को हराने वाले मोइज्जू सत्ता संभालने के बाद अपनी पहली अंतरराष्ट्रीय यात्रा के लिए बीजिंग गये थे। उन्होंने अपनी यात्रा के बाद चीन को विकास के लिए “निस्वार्थ सहायता” के लिए धन्यवाद दिया। हालांकि, आईएमएफ ने मालदीव के विदेशी ऋण का विवरण नहीं दिया, लेकिन उसने कहा कि “तत्काल पॉलिसी एडजस्टमेंट” की आवश्यकता है। मालदीव की अर्थव्यवस्था की समीक्षा के बाद आईएमएफ ने कहा, “बिना किसी महत्वपूर्ण नीतिगत बदलाव के, कुल राजकोषीय घाटा और सार्वजनिक ऋण अधिक रहने का अनुमान है। मालदीव बाहरी और कुल कर्ज संकट के उच्च जोखिम में बना हुआ है।”
पाकिस्तान और श्रीलंका का बुरा हाल
गौरतलब है कि आईएमएफ की चेतावनी ऐसे समय में आई है, जब कई दक्षिण एशियाई देश पहले से ही चीन से भारी उधार लेने के परिणामों से जूझ रहे हैं। पाकिस्तान और श्रीलंका अरबों डॉलर के कर्ज से बोझिल हैं, जिसने दोनों देशों में आर्थिक संकट को और बढ़ा दिया है। पर्यवेक्षकों के अनुसार, दोनों देशों को राष्ट्रपति शी जिनपिंग की महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के तहत बीजिंग से अरबों डॉलर मिले हैं।
चीन से लिया जा रहा भारी भरकम कर्ज
मालदीव भी चीन की विस्तार योजनाओं का हिस्सा था, खासकर सामरिक इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में। मालदीव के 1,192 छोटे कोरल आइसलैंड चेन से ग्लोबल ईस्ट वेस्ट शिपिंग लेन गुजरती हैं, जो भूमध्य रेखा के पार लगभग 800 किलोमीटर (500 मील) तक फैली हुई है। मोइज्जू के मेंटर पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यमीन, जिन्होंने 2018 तक पांच साल तक शासन किया था, ने भी निर्माण परियोजनाओं के लिए बीजिंग से भारी उधार लिया था। विश्व बैंक ने मालदीव के वित्त मंत्रालय का हवाला देते हुए कहा कि 2021 में मालदीव के 3 अरब डॉलर से अधिक विदेशी कर्ज में से 42 प्रतिशत का भारी भरकम हिस्सा चीन का है।