संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनजीए) की बैठक के इतर न्यूयॉर्क में क्वॉडिलैट्रल सिक्योरिटी डॉयलॉग (क्वाड) में शामिल देशों की महत्वपूर्ण मीटिंग हुई। क्वाड देशों भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान के विदेश मंत्रियों ने इस अहम बैठक में हिस्सा लिया। क्वॉड देशों ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता से किसी तरह का खिलवाड़ करने वालों को बर्दाश्त नहीं करने का संदेश देकर चीन को बड़ी चेतावनी दे डाली है। चीन पर परोक्ष रूप से हमला करते हुए क्वाड समूह ने शुक्रवार को दोहराया कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र का विकास संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के सम्मान पर टिका है। समूह ने विवादित क्षेत्रों के सैन्यीकरण, तटरक्षक और समुद्री मिलिशिया जहाजों के खतरनाक इस्तेमाल और अन्य देशों की अपतटीय अन्वेषण गतिविधियों को बाधित करने के प्रयासों पर गंभीर चिंता व्यक्त की।
बता दें कि चार देशों का समूह क्वाड एक बहुपक्षीय ढांचा है, जिसका गठन हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के आक्रामक रुख का मुकाबला करने के लिए 2017 में किया गया था। इस समूह में भारत, ऑस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिका शामिल हैं। विदेश मंत्री एस जयशंकर, अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन, ऑस्ट्रेलिया की विदेश मंत्री पेनी वोंग और जापान की विदेश मंत्री कामिकावा योको ने यहां संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) के उच्च स्तरीय 78वें सत्र से इतर क्वाड विदेश मंत्रियों की बैठक की और संयुक्त राष्ट्र चार्टर के सिद्धांतों को बनाए रखने के लिए अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की। क्वाड विदेश मंत्रियों की बैठक के बाद एक संयुक्त बयान में कहा गया, ‘‘हम अपने दृढ़ विश्वास की पुष्टि करते हैं कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र का विकास अंतरराष्ट्रीय कानून, संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान तथा समुद्री क्षेत्र में शांति और सुरक्षा बनाए रखने पर टिका है।’’ मंत्रियों ने इस बात पर जोर दिया कि विवादों को बिना किसी जोर-जबरदस्ती या बल प्रयोग के शांतिपूर्वक और अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुसार हल किया जाना चाहिए।
अंतरराष्ट्रीय कानून और संयुक्त राष्ट्र चार्टर का हर हाल में कराएंगे पालन
क्वॉड देशों ने अपने संयुक्त बयान में कहा, ‘‘हम अंतरराष्ट्रीय कानून, विशेष रूप से समुद्री कानून पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन (यूएनसीएलओएस) के पालन के महत्व पर जोर देते हैं, ताकि दक्षिण और पूर्वी चीन सागर समेत समुद्री क्षेत्र के दावों के संबंध में वैश्विक समुद्री नियम-आधारित व्यवस्था की चुनौतियों का समाधान किया जा सके। इसका उल्लंघन करने वालों पर कार्रवाई की जाएगी।’’ मंत्रियों ने यूएनसीएलओएस के अनुरूप नौवहन और उड़ान की स्वतंत्रता को बनाए रखने के महत्व पर जोर दिया और बलपूर्वक या जोर जबरदस्ती द्वारा यथास्थिति को बदलने की कोशिश करने वाली किसी भी एकतरफा कार्रवाई के प्रति अपना कड़ा विरोध दोहराया। मंत्रियों ने परोक्ष रूप से चीन के संदर्भ में कहा, ‘‘हम विवादित क्षेत्रों के सैन्यीकरण, तटरक्षक और समुद्री मिलिशिया जहाजों के खतरनाक इस्तेमाल और अन्य देशों की अपतटीय अन्वेषण गतिविधियों को बाधित करने के प्रयासों के बारे में गंभीर चिंता व्यक्त करते हैं।
यूक्रेन युद्ध पर भी क्वॉड ने जाहिर की चिंता
क्वाड नेताओं ने यूक्रेन में युद्ध पर भी गहरी चिंता व्यक्त की और इसके भयानक व दुखद मानवीय परिणामों पर शोक व्यक्त किया। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र चार्टर के सिद्धांतों के अनुरूप, अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुसार यूक्रेन में व्यापक, न्यायसंगत और स्थायी शांति की आवश्यकता को रेखांकित किया। संयुक्त बयान में कहा गया, ‘‘हम वैश्विक खाद्य सुरक्षा स्थिति के बारे में काफी चिंतित हैं और काला सागर के जरिये अनाज भेजने की पहल (बीएसजीआई) को फिर से शुरू करने में संयुक्त राष्ट्र के प्रयासों का समर्थन करते हैं। इस युद्ध के संदर्भ में, हम सहमत हैं कि परमाणु हथियारों का इस्तेमाल, या धमकी अस्वीकार्य होगी। हम इस बात पर जोर देते हैं कि सभी देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करते हुए नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था का पालन होना चाहिए।’’ यूएनजीए सत्र में भाग लेने के लिए शुक्रवार सुबह न्यूयॉर्क पहुंचने के तुरंत बाद विदेश मंत्री ने क्वाड बैठक की शुरुआत की। ब्लिंकन ने सोशल मीडिया ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘यूएनजीए के मौके पर ऑस्ट्रेलिया, भारत और जापान के मेरे साथी क्वाड विदेश मंत्रियों के साथ बातचीत करना अच्छा लगा।’
UNSC के विस्तार को क्वॉड देशों ने बताया जरूरी
क्वॉड के मंत्रियों ने कहा कि वे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी और गैर-स्थायी सीटों में विस्तार सहित व्यापक संयुक्त राष्ट्र सुधार एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इससे पहले भारत कई बार यूएनएससी की स्थाई और गैर स्थाई सदस्यता बढ़ाने पर जो दे चुका है। यूएनएससी में अमेरिकी, रूस, चीन, इंग्लैंड और फ्रांस समेत 5 देश शामिल हैं। ये सभी यूएनएससी के स्थाई सदस्य हैं। भारत भी यूएनएससी की स्थाई सदस्यता का प्रबल दावेदार है। मगर चीन लंबे समय से भारत को स्थाई सदस्य बनाने के खिलाफ वीटो पॉवर का गलत इस्तेमाल करता आ रहा है। मगर भारत ने अब इसमें विस्तार को अनिवार्य रूप से जरूरी बताया है।