राष्ट्रपति चुनाव के मतदान से पहले सियासी रंग गहराने लगा है, भाजपा और कांग्रेस सहित अन्य दल अपने विधायकों और सांसद को सहेजने में लगे हैं। मध्यप्रदेश में कांग्रेस के लिए यह चुनाव परीक्षा की घड़ी है, क्योंकि कांग्रेस में भाजपा की सेंधमारी के आसार है। वर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल 24 जुलाई को पूरा हो रहा है। इससे पहले नए राष्ट्रपति के लिए चुनाव हो रहा है, मतदान 18 जुलाई को होगा और मतगणना 21 जुलाई को। चुनाव में मुकाबला एनडीए की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू और विपक्षी दलों के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा के बीच है।
एमपी विधानसभा में कांग्रेस के 96 विधायक
मप्र राज्य विधानसभा में कुल 230 सदस्य हैं। इनमें से कांग्रेस के 96 हैं। इनमें से एक बड़वाह से विधायक सचिन बिरला पहले ही भाजपा में शामिल होने की घोषणा कर चुके हैं। वहीं भाजपा को 130 विधायकों का समर्थन हासिल है। भाजपा की नजर कांग्रेस के आदिवासी विधायकों पर है और इसके लिए पार्टी के वरिष्ठ नेता कांग्रेस के आदिवासी विधायकों से सीधे संपर्क भी कर रहे हैं। कांग्रेस के आदिवासी विधायकों को राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू के आदिवासी होने का हवाला भी दिया जा रहा है। भाजपा ने इस चुनाव को आदिवासी अस्मिता से भी जोड़ने की कोशिश की है और उस दिशा में प्रयास हो रहे हैं।
कांग्रेस विधायकों को प्रलोभन दे रही बीजेपी: कमलनाथ
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ इस बात की ओर इशारा कर रहे हैं कि कांग्रेस के विधायकों को भाजपा की ओर से राष्ट्रपति चुनाव के लिए प्रलोभन दिया जा रहा है। साथ ही उनका आरोप है कि भाजपा प्रशासन और पैसे का भी दुरुपयोग कर रही है।
2018 में विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस में हुआ था बिखराव
बता दें कि राज्य में वर्ष 2018 में हुए विधानसभा के चुनाव में कांग्रेस को 114 स्थानों पर जीत मिली थी। वहीं भाजपा 109 स्थानों पर ही जीत दर्ज कर सकी थी, मगर बाद में कांग्रेस में बिखराव हुआ और वर्तमान केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की अगुवाई में 22 विधायकों ने कांग्रेस का दामन छोड़ दिया था। अब कांग्रेस के सामने एक बार फिर परीक्षा की घड़ी है, क्योंकि भाजपा के संपर्क में कांग्रेस के कई विधायक लंबे अरसे से हैं। सवाल उठ रहा है क्या कांग्रेस अपने विधायकों को क्रॉस वोटिंग करने से रोक पाएगी।
SUMMARY: In the case of Presidential elections, the time of examination for Madhya Pradesh Congress, will it be able to stop its MLAs from cross voting?