महाराष्ट्र में सत्ता का संकट हफ्तेभर से जारी है। एक और एकनाथ शिंगे का गुट हर बीतते दिन के साथ मजबूत होता जा रहा है तो वहीं उद्धव ठाकरे का पाला खाली होता जा रहा है। इस बीच महाराष्ट्र के कैबिनेट मंत्री आदित्य ठाकरे ने बागियों को लेकर बयान दिया है। ठाकरे ने कहा है कि बागियों का दूसरा फ्लोर टेस्ट तब होगा जब वे मेरे सामने बैठेंगे, मेरी आंखों में देखेंगे और बताएंगे कि हमने क्या गलत किया?
“उन्हें किसी दिन हमारी आंखों में देखना ही होगा”
महाराष्ट्र के मंत्री और शिवसेना नेता आदित्य ठाकरे से जब पूछा गया कि उन्हें कितना विश्वास है कि महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार नहीं गिरेगी? इसके जवाब में आदित्य ने कहा कि हम जीत को लेकर आश्वस्त हैं। हमारे पास सबका प्यार है। विश्वासघात करने वाले नहीं जीतेंगे। जो भागते हैं वो जीतते नहीं। उद्धव के मंत्री उदय सामंत के एकनाथ शिंदे गुट में शामिल होने पर आदित्य ठाकरे ने कहा कि यह उनका निर्णय है। लेकिन वह किसी न किसी दिन हमारे सामने आएंगे, उन्हें किसी दिन हमारी आंखों में देखना होगा।
ठाकरे ने कहा कि जो लोग यहां से भाग गए और खुद को बागी बता रहे हैं, अगर उन्हें बगावत करनी थी तो यहां करना चाहिए था। उन्हें इस्तीफा देकर चुनाव लड़ना चाहिए था। बागियों का दूसरा फ्लोर टेस्ट तब होगा जब वे मेरे सामने बैठेंगे, मेरी आंखों में देखेंगे और बताएंगे कि हमने क्या गलत किया? वहीं इस दौरान पत्रकारों से बात करते हुए आदित्य ठाकरे ने संजय राउत को ईडी के समन को लेकर कहा कि यह राजनीति नहीं है, यह अब सर्कस बन गया है।
“शिंदे से पूछा था- क्या वह मुख्यमंत्री बनना चाहते हो”
महाराष्ट्र सरकार में शिवसेना से मंत्री आदित्य ठाकरे ने रविवार को दावा किया कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने पिछले महीने पार्टी नेता एकनाथ शिंदे से पूछा था कि क्या वह मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं, हालांकि शिंदे ने तब बात को टाल दिया था। आदित्य ने शिंदे के विद्रोह के हवाले से कहा, “ 20 मई को मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने एकनाथ शिंदे को (मुख्यमंत्री के आधिकारिक आवास)’वर्षा’ बुलाया था और पूछा था कि क्या वह मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं। हालांकि तब उन्होंने इस मुद्दे को टाल दिया था। लेकिन एक महीने बाद 20 जून को जो होना था वो हो गया।”
गौरतलब है कि शिंदे ने पिछले हफ्ते पार्टी के खिलाफ बगावत कर दी थी। शिवसेना के ज़्यादातर विधायक उनके साथ हैं और सब असम के गुवाहाटी में एक होटल में रह रहे हैं। उनके इस कदम से महाराष्ट्र में शिवसेना के नेतृत्व वाली महा विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। एमवीए में कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी भी शामिल है।