महाराष्ट्र के नागपुर में पानी का संकट गहरा गया है और यहां के कई इलाकों में लोग एक-एक बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं। महानगरपालिका दावा कर रही है कि 300 टैंकर सप्लाई में लगे हैं, लेकिन जनता की जरूरत इससे पूरा नहीं हो पा रही है।
कई जगह तो पानी के लिए महिलाएं रोती हुई भी दिखीं और कई जगह मामला मारपीट और पुलिस तक भी पहुंच गया। दरअसल नागपुर के कई इलाकों में पानी की इतनी भारी कमी है कि जैसे ही टैंकर यहां पहुंचता है तो पानी लेने के लिए सैकड़ों लोगों की भीड़ जमा हो जाती है। जिसके बाद बात धक्का मुक्की, झगड़ा और मारपीट से होते हुए पुलिस तक पहुंच जाती है।
घरों में मीटर नहीं, फिर भी बिल एक लाख रुपए
पानी की इस लड़ाई पर राजनीति भी शुरू हो गई है और राजनैतिक दलों ने बयानबाजी भी शुरू कर दी है। मुख्य समस्या जनता की है, जिसके पास पीने के लिए भी पानी नहीं है। कई लोगों का कहना है कि उनके घरों में मीटर तक नहीं है, उसके बावजूद उनका पानी का बिल एक लाख से सवा लाख रुपए तक आ रहा है।
लोगों ने ये शिकायत भी की है कि महानगरपालिका के बिल में मीटर की जगह साइकिल, मिट्टी और पत्थर की फोटो है। जनता के बीच इस पानी की समस्या को लेकर आक्रोश है। पानी की सबसे ज्यादा समस्या उत्तर नागपुर में है, जहां पर ज्यादातर बस्तियों के पास जरूरी कामों के लिए भी पानी नहीं है। यहां की 20 साल पुरानी महाडा कॉलोनी में लोग पानी के लिए मोहताज हैं। यहां करीब 1500 लोग रहते हैं और सिर्फ 150 के आसपास घरों के लिए पानी उपलब्ध कराया गया है।
पानी के लिए टैंकर ड्राइवरों को देनी पड़ रही रिश्वत
उत्तर नागपुर के लोगों का कहना है कि टैंकर चालकों को हर दिन 10 से 20 रुपए प्रति घर देना पड़ता है। अगर उन्हें ये पैसे नहीं दिए गए तो वह टैंकर लेकर नहीं आते। कभी-कभी टैंकर चालक यह भी कहते हैं कि उनका महीना बांध दें और 350 रुपए महीना दिया करें।