वाराणसी कोर्ट ने ज्ञानवापी मामले में सर्वे करने वाले कोर्ट कमिश्नर अजय कुमार मिश्रा को हटा दिया है और सर्वे रिपोर्ट पेश करने के लिए 2 दिन की मोहलत दी है। वहीं विशाल सिंह और अजय प्रताप सिंह कोर्ट कमिश्नर बने रहेंगे।
बता दें कि इससे पहले ज्ञानवापी (Gyanvapi) की सर्वे रिपोर्ट तैयार करने में वक्त लगने की वजह से कोर्ट कमिश्नर ने अदालत से दो दिनों का वक्त मांगा था। जिसके बाद फैसले को 4 बजे तक के लिए सुरक्षित रख लिया गया था।
आज बहस के दौरान हिंदू पक्ष ने मांग की थी कि जहां शिवलिंग मिला है, वहां की पूर्वी और पश्चिमी दीवार को हटाया जाए ताकि सर्वे की कार्रवाई में और साक्ष्य मिल सकें। वहीं इस केस की वादी सीता साहू ने पूजा के अधिकार को लेकर मांग की है।
विस्तृत रिपोर्ट पेश करने में लग रहा समय
तीन दिनों तक चले सर्वे के दौरान हर तथ्य को शामिल कर एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार करने में समय लग रहा है। इसी वजह से आज कोर्ट से यह दरख्वास्त की गई कि ज्ञानवापी सर्वे की रिपोर्ट पेश करने के लिए दो दिनों की और मोहलत दी जाए।
फिलहाल पूरी तरह से तैयार नहीं है रिपोर्ट
सहायक एडवोकेट अजय प्रताप सिंह ने मंगलवार को कहा, “अदालत के आदेश के अनुसार, 14 से 16 मई के बीच सुबह आठ बजे से दोपहर 12 बजे तक ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का वीडियोग्राफी-सर्वे कार्य किया गया। 17 मई को सर्वे से संबंधित रिपोर्ट अदालत में पेश की जानी थी।” हालांकि, उन्होंने आगे कहा, “हम आज (मंगलवार) अदालत में रिपोर्ट नहीं जमा कर रहे हैं, क्योंकि यह तैयार नहीं है। हम अदालत से दो-तीन दिन का अतिरिक्त समय मांगेंगे। अदालत जो भी समय देगी, हम उसमें रिपोर्ट पेश करेंगे।”
हिंदू पक्ष के वकीलों ने शिवलिंग मिलने का किया दावा
इससे पहले, हिंदू पक्ष का प्रतिनिधित्व करने वाले वकीलों ने सोमवार को दावा किया था कि अदालत द्वारा अनिवार्य वीडियोग्राफी-सर्वे कार्य के दौरान मस्जिद परिसर में एक शिवलिंग पाया गया है। एक स्थानीय अदालत ने सोमवार को हिंदू पक्ष की ओर से दायर अर्जी पर सुनवाई करते हुए ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के उस हिस्से को सील करने का आदेश दिया था, जहां कथित तौर पर शिवलिंग मिलने का दावा किया गया है।
वजू खाने के अंदर फव्वारा लगाए जाने की परंपरा
उधर, ज्ञानवापी मस्जिद का प्रबंधन करने वाली कमेटी के एक सदस्य ने इस दावे का खंडन करते हुए कहा था, “मुगल काल की मस्जिदों में वजू खाने के अंदर फव्वारा लगाए जाने की परंपरा रही है। उसी का एक पत्थर आज सर्वे में मिला है, जिसे शिवलिंग बताया जा रहा है।” अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी के संयुक्त सचिव सैयद मोहम्मद यासीन ने आरोप लगाया था कि सिविल जज (सीनियर डिवीजन) रवि कुमार दिवाकर द्वारा आदेश जारी करने से पहले मस्जिद प्रबंधन का पक्ष नहीं सुना गया।