Reserve Bank of India के बाद अब अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने भी झटका दिया है। अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ने बुधवार रात ब्याज दर में 0.5% की बढ़ोतरी का ऐलान किया। दरअसल, अमेरिका में महंगाई रिकॉर्ड 40 साल के उच्चतर स्तर पर पहुंचने के बाद अमेरिकी फेड ने यह कदम उठाया है। केंद्रीय बैंक ने फेडरल फंड्स रेट को 50 आधार अंकों से बढ़ाकर 0.75 प्रतिशत से 1 प्रतिशत की नई लक्ष्य सीमा तक कर दिया है, जो 22 वर्षों के बाद सबसे बड़ी वृद्धि है। फेडरल रिजर्व के अध्यक्ष जेरोम पॉवेल ने कहा कि महंगाई चरम पर होने के कारण हमने यह फैसला लिया है। हम महंगाई को कंट्रोल करने का प्रयास तेजी से कर रहे हैं।
अमेरिकी बाजारों ने फैसले का स्वागत किया
केंद्रीय बैंक के ब्याज दर में बढ़ोतरी के फैसले का अमेरिकी बाजार ने स्वागत किया है। डाउ जोंस 900 अंक चढ़ गया। इसके साथ ही एसएंडपी 500, नैस्डैक, हैंगसैंग, कोस्पी समेत दुनिया भर कई बाजारों में बड़ी तेजी देखने को मिली है। विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिकी बाजार ने फेड चेयरमैन पॉवेल की टिप्पणियों पर उछला है। उन्होंने कहा कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था मजबूत स्थिति में हैं और उपभोक्ताओं के पास पर्याप्त नकदी है। इसके अलावा, उन्होंने सुझाव दिया कि महंगाई का सबसे खराब दौर अब खत्म होने को है। इससे बाजार में मजबूत लौटी है।
आरबीआई ने भी ब्याज दरों में बढ़ोतरी की
भारतीय रिजर्व बैंक ने करीब दो साल बाद बुधवार को बढ़ती महंगाई पर काबू करने के लिए ब्याज दरों में बढ़ोतरी का ऐलान किया था। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने रेपो रेट में 40 बेसिस प्वाइंट्स की बढ़ोतरी कर 4.40% कर दिया है। इसके साथ ही आरबीआई ने कैश रिजर्व रेशिया (सीआरआर) में 50 बेसिस प्वाइंट की वृद्धि की है, यह 4.50 फीसदी कर दिया गया है। नई दरें 21 मई से लागू की गई हैं। आरबीआई के इस फैसले से आम लोगों की ईएमआई बढ़ेगी। वहीं, बाजार में बड़ी गिरावट आई थी।
भारतीय बाजार को लेकर अनुमान
बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि आरबीआई और फेड की ओर से ब्याज दरों में बढ़ोतरी के बाद अब भारतीय बाजार में रिकवरी देखने को मिल सकता है। बाजार को जो करेक्शन करना था वो कर लिया है। हालांकि, यह नहीं कहा जा सकता है कि अब बाजार में तेजी लौट आएगी। कंपनियों के नतीजे, घरेलू और वैश्विक घटनाक्रम बाजार पर असर डालेंगे। ऐसे में बाजार सापाट चाल से चल सकता है। हां, फेड के इस फैसले से डॉलर को जरूर मजबूती मिलेगी जो रुपए को कमजोर कर सकता है। रूस-यूक्रेन संकट के कारण पहले ही रुपया कमजोर हुआ है।