पाकिस्तान की कराची यूनिवर्सिटी में मंगलवार को महिला फिदायीन के हमले में 3 चीनी महिला प्रोफेसर्स की मौत हो गई। इसके बाद चीन ने सख्त रुख अपनाया। नए नवेले प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ आधी रात को चीन की इस्लामाबाद में मौजूद एम्बेसी पहुंचे और हाथ बांधकर किसी मुजरिम की तरह बातें सुनते रहे। हमले की जिम्मेदारी उसी बलोच लिबरेशन आर्मी (BLA) ने ली, जो पहले भी इस तरह के हमलों को अंजाम दे चुकी है और इनमें 15 चीनी नागरिक मारे जा चुके हैं। एक तरफ, चीन और पाकिस्तानी फौज है तो दूसरी तरफ BLA है। बलूचियों की मांगों का समर्थन कई देश कर चुके हैं, लेकिन उसके तौर-तरीकों पर सवालिया निशान हैं। जानिए क्या है यह विवाद?
आजादी के बाद से ही बलोचियों को दोयम दर्जे का माना जाता रहा
बलूचिस्तान के नागरिक 1947-1948 से ही खुद को पाकिस्तान का हिस्सा नहीं मानते। इसके बावजूद किसी तरह वो पाकिस्तान के नक्शे पर मौजूद रहे। उन्हें दोयम दर्जे नागरिक माना जाता रहा। पंजाब, सिंध या खैबर पख्तूनख्वा की तरह उन्हें कभी अपने जायज हक भी नहीं मिले। वक्त गुजरता रहा और इसके साथ ही गुस्सा भी बढ़ता गया।
1975 में तब के प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो एक रैली के लिए क्वेटा पहुंचे। यहां एक हैंड ग्रेनेड फटने से मजीद लांगो नाम के युवक की मौत हो गई। दावा किया गया कि यह भुट्टो को मारने आया था। वास्तव में BLA की नींव यहीं से पड़ी। मजीद के छोटे भाई का नाम भी मजीद ही था। वो 2011 में पाकिस्तानी फौज के हाथों मारा गया। इसके बाद BLA का एक अलग दस्ता तैयार हुआ और इसका नाम मजीद ब्रिगेड पड़ा।
BLA और मजीद ब्रिगेड कितने अलग
बलूचिस्तान का ईरान के साथ स्ट्रॉन्ग कनेक्शन रहा है। जैसे पाकिस्तान तालिबान खुद को पाकिस्तानी से ज्यादा अफगानी मानते हैं, वैसे ही बलूचिस्तान के ज्यादातर लोग ईरान के करीब हैं। ईरान भी चोरी छिपे इनकी मदद करता रहा है।यहां एक बात और समझनी जरूरी है। वो ये कि BLA का शुरुआती संघर्ष पहाड़ों में शांतिपूर्ण आंदोलन तक सीमित था। जब मजीद ब्रिगेड बनी तो मामला सीधे तौर पर हिंसक हो गया। एक अनुमान के मुताबिक, मजीद ब्रिगेड के हमलों में अब तक करीब 1200 पाकिस्तानी फौजी मारे जा चुके हैं, हालांकि फौज ने सही तादाद कभी नहीं बताई।
घुटने टेक रही पाकिस्तानी फौज
हालिया वक्त में मजीद ब्रिगेड और BLA के सामने पाकिस्तानी फौज निकम्मी साबित हुई है। उसे हर लेवल पर जबरदस्त नुकसान उठाना पड़ा। मजीद ब्रिगेड की ताकत दो वजहों से ज्यादा हो गई है। पहली- दूसरे देशों में मौजूद बलोच नागरिक और ईरान से फंडिंग मिलती है। दूसरी- इसके लड़ाके काफी पढ़े लिखे और हाईटेक हैं। पिछले दिनों आर्मी डिपो पर हमले में 22 सैनिक मजीद ब्रिगेड का शिकार बने थे। जांच में पता चला कि पाकिस्तानी फौज का पूरा मूवमेंट मजीद ब्रिगेड की टेक्निकल यूनिट ट्रैक कर रही थी।
मजीद ब्रिगेड चीन की दुश्मन क्यों
अब सवाल यह उठता है कि आखिर BLA और खासतौर पर मजीद ब्रिगेड चीन और चीनियों के पीछे क्यों पड़ा है? इस सवाल का एक बहुत छोटा सा जवाब तो यह है कि चीन ने बलोचों की रोजी-रोटी छीन ली, उन्हें भूखा मरने के लिए छोड़ दिया। दरअसल, करीब 60 अरब डॉलर का चाइना पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) बलूचिस्तान के नागरिकों की नाराजगी की सबसे बड़ी वजह है। इसकी ओट में पाकिस्तानी फौज ने जबरिया बलोचों से उनकी जमीन छीन ली। वहां फिश पैकेजिंग और तमाम दूसरी छोटी-छोटी यूनिट्स लगा दीं। खास बात यह है कि इन यूनिट्स में बलोचों को नहीं रखा गया। इनकी जगह चीन ने अपने ही लोगों को नौकरी और ठेके दिए।
पाक के फौजी जनरलों ने CPEC की आड़ में खूब कमीशन खाया
CPEC की आड़ में पाकिस्तान के सियासतदानों, ब्यूरोक्रेट्स और फौज के जनरलों ने करोड़ों रुपए का कमीशन खाया। पूर्व आर्मी चीफ जनरल राहिल शरीफ और आसिम सलीम बाजवा का नाम भी इस लिस्ट में शुमार है। हालांकि, फौज के आगे बोलने की हिम्मत कौन करता? लिहाजा, मामले दबा दिए गए।
चीनी कंपनियों ने हजारों टन वाले ऑटोमैटिक और हाईटेक ट्रॉलर्स के जरिए मछलियां पकड़ना शुरू किया। बलोच पुरानी और छोटी नावों से यह काम करते थे। पाकिस्तानी फौज और चीन ने बलोचों के समंदर में मछली पकड़ने पर ही रोक लगा दी।
हालात तब और बिगड़े जब इमरान सरकार ने 2018 में चीन की एक बड़ी कंपनी को इलाके में गोल्ड यानी सोने और कॉपर की माइनिंग का ठेका दे दिया। इसके लिए हजारों बलोचियों की घर उजाड़ दिए गए।
बलोचों की रोजी-रोटी का यही जरिया था, जो खत्म हो गया। मजीद ब्रिगेड से एजुकेडेट लोगों के जुड़ने की सबसे बड़ी वजह चीन ही बना। कराची यूनिवर्सिटी में फिदायीन हमला करने वाली शैरी बलोच Mpil थी। उसके पति डॉक्टर और भाई इंजीनियर है।
स्पेशल यूनिट भी नाकाम
2020 में चीनियों की सुरक्षा के लिए एक स्पेशल यूनिट बनाई गई थे। इसमें सबसे ज्यादा फौज के लोग हैं। इसके अलावा रेंजर्स और स्पेशल प्रोटेक्शन यूनिट के कर्मचारियों को भी यहां तैनात किया गया था। इंटेलिजेंस यूनिट को भी इन चीनियों की हिफाजत का जिम्मा सौंपा गया है। पाकिस्तान सरकार के संसद में दिए गए बयान के मुताबिक, बलूचिस्तान में मौजूद 3355 चीनी नागरिकों की हिफाजत के लिए पाकिस्तान ने 11 हजार 225 सुरक्षाकर्मी तैनात किए हैं। इसके बाद भी इन पर हमले बदस्तूर जारी हैं।
चीनियों पर हमले : एक नजर में
2017 : इस साल मई में दो बाइक सवारों ने काम पर जा रहे चीनी नागरिकों की बस पर हमला किया। 10 चीनी मारे गए।
2018 : फरवरी में चीन के कॉन्स्युलेट जनरल पर हमला किया गया। वो तो बच गए, लेकिन 4 पाकिस्तानी पुलिस अफसर मारे गए।
2021 : क्वेटा के फाइव स्टार सेरेना होटल पर हमला। चीनी राजदूत तो बच गए, लेकिन 6 लोगों की मौत हो गई।
2021 : दासू डैम जा रही चीनी इंजीनियरों की बस हमला। 9 चीनी इंजीनियर मारे गए। इमरान सरकार के झूठ से चीन तिलमिलाया।
2021 : अगस्त में ग्वादर पोर्ट के करीब चीनियों पर हमला हुआ। दो बच्चों की मौत हो गई।