असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि असम की आबादी में 35% मुस्लिम हैं और उन्हें अब राज्य में अल्पसंख्यक नहीं माना जा सकता। उन्होंने विधानसभा में बहस के दौरान कहा कि सत्ता के साथ ज़िम्मेदारी भी आती है और चूंकि असम की आबादी में 35% मुस्लिम हैं, इसलिए यहां के अल्पसंख्यकों की रक्षा करना उनका कर्तव्य है।
असम विधानसभा के बजट सत्र के दौरान मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा, “आज मुस्लिम समुदाय के लोग विपक्ष में नेता हैं, विधायक हैं और उनके पास समान अवसर और शक्ति है। इसलिए यह उनका कर्तव्य है कि वो आदिवासी लोगों के अधिकारों की रक्षा करें। उन्होंने कहा कि छठी अनुसूची क्षेत्र में रहने वाले आदिवासियों की भूमि पर किसी को किसी भी तरह कोई कब्जा नही होना चाहिए। उन्होंने कहा “यदि बोरा और कलिता भूमि पर नहीं बसे हैं, तो इस्लाम और रहमान (मुस्लिम उपनामों) को भी उन जमीनों में बसने से बचना चाहिए।
संस्कृति के संरक्षण की बात करना चाहिए मुस्लिमों को: सरमा
मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि “सत्ता जिम्मेदारी के साथ आती है” और चूंकि मुस्लिम असम की आबादी का 35 प्रतिशत हैं। इसलिए यहां अल्पसंख्यकों की रक्षा करना उनका कर्तव्य है। असम के लोग दहशत में हैं। उन्हें डर है कि आगे उनकी संस्कृति और सभ्यता का कोई नुकसान तो नहीं कर देगा! सरमा ने कहा “अब मुसलमानों को संस्कृति के संरक्षण की बात करनी चाहिए। क्योंकि अब उनकी आबादी हम से ज्यादा है। दस साल पहले तक हम अल्पसंख्यक नहीं थे, लेकिन अब हम अल्पसंख्यक में शामिल हो गए ये हैं।”
सरमा ने मुस्लिमों से मांगा यह आश्वासन
सरमा ने कहा, “लोग मुझसे पूछते हैं कि क्या असम के लोगों का भी कश्मीरी पंडितों के समान ही हश्र होगा! दस साल बाद, क्या असम ऐसा होगा जैसा बॉलीवुड में दिखाया गया है। फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’? हमारे डर को दूर करना मुसलमानों का कर्तव्य है। मुसलमानों को बहुमत की तरह व्यवहार करना चाहिए और हमें आश्वासन देना चाहिए कि यहां कश्मीर की तरह यहां नहीं होगा।”