उत्तर प्रदेश में सियासी दंगल शुरू हो गया है। हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह कैराना पहुंचे थे। अमित शाह ने शामली के कैराना से प्रचार अभियान की शुरुआत कर साफ कर दिया है कि पार्टी इस बार भी हिंदुओं के पलायन का मुद्दा उठाती रहेगी। डोर-टू-डोर कैंपेन के दौरान अमित शाह ने कहा, ‘यही कैराना है, जहां पलायन होता था, लेकिन अब पलायन कराने वाले खुद पलायन कर गए हैं।’
उन्होंने कहा कि कैराना के लोग अब डर में नहीं रह रहे हैं। उन्होंने कहा कि कानून व्यवस्था की संतोषजनक स्थिति विकास की प्राथमिक शर्त है और योगी आदित्यनाथ सरकार ने उत्तर प्रदेश में इसे सुनिश्चित किया है। इस दौरान बीजेपी कार्यकर्ता ‘जय श्रीराम’ और ‘भारत माता की जय’ के नारे लगा रहे थे। बता दें, बीजेपी ने यहां से दिवंगत हुकुम सिंह की बेटी मृगांका सिंह को टिकट दिया है।
हुकुम सिंह ने ही कैराना से पलायन का मुद्दा उठाया था। साल 2017 के विधानसभा चुनाव में ये मुद्दा छाया रहा था और इसका फायदा भी बीजेपी को मिला था। अब अमित शाह ने इसे दोबारा उठाते हुए कहा कि कैराना का पलायन याद करके मेरा तो खून ही खौल उठता है। दूसरी तरफ, बीजेपी की तरफ से अखिलेश यादव की एक छवि गढ़ने का भी लगातार प्रयास किया जा रहा है। अखिलेश यादव ने पुरानी पेंशन बहाल करने का वायदा किया था।
अखिलेश के पेंशन वायदे पर योगी आदित्यनाथ ने कहा था, अखिलेश यादव वादा कर रहे हैं कि उनकी सरकार बनी तो पुरानी पेंशन लागू करेंगे लेकिन मैं उन्हें बताना चाहता हूं कि उनके अब्बा जान ने ही पुरानी पेंशन बंद कर दी थी। उसके बाद चार वर्ष तक वह मुख्यमंत्री रहे। फिर 5 साल तक उन्हें (अखिलेश यादव) खुद मुख्यमंत्री बनने का मौका भी मिला। लेकिन उस दौरान सरकारी कर्मचारियों के बारे में नहीं सोचा गया।
‘अब्बाजान’ की कैसे हुई थी शुरुआत
सीएम योगी ने समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव पर पलटवार किया था। सीएम योगी ने राम मंदिर के मुद्दे को लेकर अखिलेश यादव पर तंज कसते हुए कहा था कि उनके ‘अब्बा जान’ तो कहते थे परिंदा भी पर नहीं मार पाएगा। अखिलेश ने इस पर जवाब दिया था, मुख्यमंत्री को अपनी भाषा पर संतुलन रखना चाहिए। हमारा आपका झगड़ा मुद्दों को लेकर हो सकता है। अगर वो मेरे पिता जी के लिए कुछ कहेंगे तो मैं भी उनके पिताजी के बारे में बहुत कुछ कह दूंगा। इसलिए मुख्यमंत्री अपनी भाषा पर संतुलन रखें।