तालिबानी लड़ाकों ने अफगानिस्तान में सत्ता पर काबिज होने के बाद से 100 से अधिक पूर्व पुलिस और खुफिया अधिकारियों को या तो मार डाला है या जबरन “गायब” कर दिया है। ह्यूमन राइट्स वॉच ने मंगलवार को एक रिपोर्ट में यह बात कही। समूह ने आम माफी घोषित किये जाने के बावजूद अपदस्थ सरकार के सशस्त्र बलों के खिलाफ जवाबी कार्रवाई जारी रखने की ओर इशारा किया।
रिपोर्ट में कहा गया है कि तालिबान ने सरकारी रोजगार रिकॉर्ड का उपयोग करते हुए पूर्व अधिकारियों और आत्मसमर्पण करने वालों को निशाना बनाया है। कुछ मामलों में, स्थानीय तालिबान कमांडरों ने लक्षित किए जाने वाले लोगों की सूची यह कहते हुए तैयार की है कि उन्होंने “अक्षम्य” कृत्य किए हैं।
ह्यूमन राइट्स वॉच ने रिपोर्ट में कहा, “हत्याओं के स्वरूप से पूरे अफगानिस्तान में आतंक उत्पन्न हो गया है, क्योंकि पूर्व सरकार से जुड़ा कोई भी व्यक्ति सुरक्षित महसूस नहीं कर सकता है।” तालिबान 15 अगस्त को अफगानिस्तान की सत्ता पर काबिज हुआ था जब इसके लड़ाके राजधानी काबुल में घुस गए थे।
रिपोर्ट में कहा गया है कि तालिबान ने पूर्वी नांगरहार प्रांत में इस्लामिक स्टेट समूह का समर्थन करने वाले लोगों को भी निशाना बनाया है, जो आईएस के हमलों का केंद्र है। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि प्रांत की राजधानी जलालाबाद में मंगलवार को उस समय आठ घंटे तक भीषण गोलीबारी हुई जब तालिबान ने आईएस आतंकवादियों के एक संदिग्ध ठिकाने पर धावा बोल दिया।
प्रांतीय खुफिया प्रमुख ताहिर मोबारिज़ ने कहा कि संघर्ष के दौरान, घर में एक महिला और एक पुरुष ने आत्मघाती विस्फोट कर लिया और उनकी इसमें मौत हो गई। उन्होंने बताया कि तीसरा व्यक्ति गोलीबारी से मारा गया। उन्होंने बताया कि दो संदिग्ध आतंकवादियों को गिरफ्तार कर लिया गया।
ह्यूमन राइट्स वॉच ने गवाहों, रिश्तेदारों, पूर्व सरकारी अधिकारियों, तालिबान अधिकारियों और अन्य लोगों के साक्षात्कार के माध्यम से कहा कि उसने 15 अगस्त और 31 अक्टूबर के बीच चार प्रांतों में 47 पूर्व सशस्त्र बलों के सदस्यों की हत्याओं या “गायब होने” का दस्तावेजीकरण किया है। उसने कहा कि इसके शोध से संकेत मिलता है कि कम से कम 53 अन्य हत्याओं एवं व्यक्तियों के गायब होने के मामले भी हैं।