किसी ने ठीक ही कहा है, ‘जहां चाह वहां राह होती है’, जो इंसान किसी चीज को ठान लेता है फिर उसके लिए इस धरती पर कुछ भी असंभव नहीं होता है। दरअसल, ऐसा ही एक मामला ओडिशा के नयागढ़ जिले के गांव तुलुबी में देखने को मिला है। जहां गांव के ही दो सगे भाइयों हरिहर बेहरा और कृष्ण ने पहाड़ों को काट 4 किलोमीटर लंबी सड़क बना डाली है।
दरअसल, लगभग तीन साल पहले जिले से कोसों दूर बसे तुलुबी ग्रामवासियों ने प्रशासन से गुहार लगाई थी कि जंगल से होते हुए तीन किमी की सड़क को उनके गांव से जोड़ दिया जाए, ताकि लोगों को आने-जाने में होने वाली परेशानियों से छुटकारा मिल सके, लेकिन प्रशासन ने इस मांग को सिरे से खारिज कर दिया। मंत्री ने तो इसे असंभव तक बता दिया था।
जीवन के तीस साल खपा दिए
प्रशासन के मना कर देने के बाद दो भाइयों ने सड़क बनाने का जम्मेदारी अपने ऊपर ले ली और उन्होंने कुदाल, हथौड़े और अन्य सीमित औजारों की मदद से सड़क का निर्माण कर दिया। इस काम को अंजाम देने में दोनों भाइयों ने अपने जीवन के तीस साल खपा दिए। दोनों भाइयों को जैसे ही अपने खेतों में काम करने के बाद समय मिलता तो वह सड़क बनाने के काम में जुट जाते थे।
बीच रास्ते में जब एक भाई की टूट गई सांसे
सड़क निर्माण के लिए दोनों भाइयों ने पहले उन जगहों को साफ किया जहां से सड़क निकाली जानी थी। हालांकि, जिन चट्टानों पर उनका वस नहीं चला उन चट्टानों को विस्फोटकों के जरिए तोड़ने का प्रयास किया, लेकिन जब पता लगा कि विस्फोटक सामग्री से पर्यावरण को नुकसान पहुंच रहा है, तो दोनों भाइयों ने इसे रोक दिया और फिर हथौड़े की मदद से ही बची हुई चट्टानों को तोड़ने में जुट गए। फिर एक दिन ऐसा भी आया जब कृष्ण बेहरा की बीमारी के चलते मौत हो गई और हरिहर अकेला पड़ गया, लेकिन भाई के साथ लिए इस प्रण को निभाने में वो पीछे नहीं हटा और अकेले ही जुट गया चट्टानों को तोड़ने में, हालांकि बादा में कुछ ग्रामीणों ने भी उसकी मदद की।
दोनों भाइयों के कठोर परिश्रम के बाद एक दिन ऐसा भी आया, जब ग्रामीणों को कुछ साल पहले एक नई सड़क मिल गई। हरिहर बताते हैं कि प्रशासन से नाउम्मीद होने के बाद उन्हें कोई और विकल्प नजर नहीं आया। ऐसे में उन्होंने खुद ही ये जिम्मेदारी ले ली थी। दरअसल, गांव के लिए सड़क न होने से शहर से गांव आने वाले लोग अक्सर रास्ता भूल जाया करते थे। इतना ही नहीं गंभीर रूप से बीमार लोगों को समय से इलाज नहीं मिल पाता था, लेकिन अब जब ग्रामीणों को नई सड़क मिल गई है, तो उनके चेहरे की खुशी देखते ही बनती है।