भारत ने लद्दाख सीमा विवाद (Ladakh Border Issue) और पूरी दुनिया में फैले कोरोना वायरस के बीच चीन को कॉटन निर्यात (Cotton Export to China) को बंद नहीं किया था. कपड़ा राज्यमंत्री दर्शना जरदोष (Darshana Jardosh) ने मॉनसून सत्र के दौरान संसद को बताया कि भारत ने मौजूदा कपास सत्र 2020-21 के दौरान चीन को कुल 21.97 लाख कपास की गांठों (Cotton Bales) का निर्यात किया. वहीं, इस दौरान दुनियाभर में 54.83 लाख गांठ कपास का निर्यात किया गया. दूसरे शब्दों में समझें तो भारत ने तमाम झंझटों के बाद भी चीन को कुल कपास निर्यात का करीब आधा कॉटन एक्सपोर्ट किया.
कपास सत्र में चीन को भेजा 27.50 करोड़ किग्रा कॉटन
राज्यमंत्री जरदोष ने बताया कि कोरोना संकट के बीच भारत ने चीन को कपास निर्यात बंद नहीं किया था. उन्होंने कहा कि बांग्लादेश के बाद चीन भारत से कपास आयात करने वाला दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश है. साथ ही बताया कि मौजूदा कपास सत्र (अक्टूबर 2020 से सितंबर 2021) में अप्रैल 2021 तक चीन को कुल 27.50 करोड़ किग्रा कॉटन भेजा गया. वहीं, दुनियाभर के देशों को कुल 98 करोड़ किग्रा कपास का निर्यात किया गया. एक अन्य सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि महामारी के कारण बने हालात की वजह से हैंडलूम समेत हर सेक्टर में आर्थिक गतिविधियों पर बुरा असर पड़ा है. इस दौरान मांग और आपूर्ति श्रृंखला पर काफी असर पड़ा.
बजटीय अनुमान और वास्तविक खर्च में पैदा हुआ अंतर
केंद्रीय मंत्री दर्शना जरदोष ने कहा कि राज्य सरकारों (State Governments) और यार्न आपूर्ति लाभार्थियों की ओर से मार्केटिंग एक्सपो (Marketing Expos) व सब्सिडी वाले यार्न (Subsidized Yarn) की आपूर्ति के प्रस्तावों में भी गिरावट दर्ज की गई. इससे साल 2020-21 के लिए बजटीय अनुमान (Budgetary Estimates) और वास्तविक खर्च (Actual Expenditure) में बड़ा अंतर पैदा हो गया. उन्होंने बताया कि हैंडलूम सेक्टर के लिए बजटीय अनुमान 475 करोड़ रुपये था, जिसे संशोधित कर 336 करोड़ रुपये कर दिया गया. वहीं, वास्तविक खर्च 315.95 करोड़ रुपये ही रहा.