अफगानिस्तान से अमेरिकी और नाटो सैनिकों की वापसी और काबुल से लगातार बढ़ते तनाव के बीच पाकिस्तान ने अफगानिस्तान से लगती अपनी सीमा की अग्रिम चौकियों पर सेना के जवानों की तैनाती की है। यह दावा शनिवार को मीडिया में आई खबरों में किया गया। डॉन अखबार ने आतंरिक मामलों के मंत्री शेख रशीद अहमद के हवाले से बताया कि अग्रिम ठिकानों पर फ्रंटियर कांस्टेबुलरी (एफसी), लेविस फोर्स (अर्धसैनिक बल) और अन्य मिलिशिया के स्थान पर पाकिस्तानी सेना के सैनिकों को तैनात किया गया है।
इस बीच अमेरिका और नाटो सैनिकों की अफगानिस्तान से वापसी की प्रक्रिया पूर्ण होने की ओर है। अहमद ने कहा कि आतंरिक मंत्रालय के तहत कार्यरत एफसी बलूचिस्तान और अन्य मिलिशिया को सीमा पर गश्त के कार्य से वापस बुला लिया गया है। उन्होंने बताया, ‘अर्धसैनिक बलों को वापस बुलाने के बाद अब नियमित सेना के सैनिक सीमा पर तैनात है।’ अहमद के मुताबिक यह फैसला सीमा पर तनावपूर्ण स्थिति उत्पन्न होने के मद्देनजर लिया गया है। सैन्य प्रवक्ता मेजर जनरल बाबर इफ्तिकार ने हाल में टीवी चैनल से बातचीत में कहा था कि सीमा पर सैनिकों की तैनाती से अफगानिस्तान की जमीन और हवा में चल रही लड़ाई को पाकिस्तान की ओर आने से रोकने में मदद मिलेगी।
इस बीच पाकिस्तानी सेना में मौजूद सूत्रों ने अखबार को बताया कि मौजूदा परिस्थितियों में सबसे बड़ी चुनौती शरणार्थियों या उनकी शक्ल में किसी घुसपैठिए को रोकना ही नहीं है बल्कि अफगान सेना के सैनिकों और तालिबान के लड़ाकों को भी पाकिस्तान की सीमा में दाखिल होने से रोकना है। अधिकारी ने कहा, ‘हमने देखा कि जुलाई में तालिबान से लड़ाई करने से बचने के लिए एक हजार से अधिक अफगान सैनिक तजाकिस्तान भाग गए। हालांकि, उत्तरी अफगानिस्तान में तालिबान की उपस्थिति उतनी नहीं है जितनी पाकिस्तान से लगती दक्षिणी इलाकों में, ऐसे में अगर अफगान सैनिक भागकर हमारी सीमा में आते हैं तो तालिबान भी उनका पीछा करते हुए आएगा और इस तरह यह लड़ाई पाकिस्तानी इलाके में भी फैल जाएगी।’
गौरतलब है कि पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच 2,640 किलोमीटर लंबी सीमा है जिनमें से 90 प्रतिशत पर पाकिस्तान ने सुरक्षा दीवार बनाई है।